गुरुर भी टूटेगा
आज हारे है वो तो कल गुरुर भी टूटेगा पिंजड़े में बंद तोता अब जल्द ही छूटेगा अब समझ में आएगा जन आक्रोश क्या है सपनो के...
गुरुर भी टूटेगा
कविता " बाबा साहब को नमन "
कविता " रंगों में घोल दें "
" विकल्प तलाशना चाहिए "
श्रद्धांजलि
जयंती " जननायक कर्पूरी ठाकुर "
कविता "सच कहने से डरता है"
मुस्कुराना सीख लिया हैं
मां, ओ मेरी मां
शत शत नमन
नव वर्ष 2024 की बधाई
क्रिसमस पर्व की बधाई।
कहानी "असली चीज आप स्वयं हैं"
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
कविता "गाँधी बाबा कहाँ हो तुम ?"
लघुकथा"इसीलिए मैं खुश हूं"
कविता "हिंदी दिवस मनाये"
लघुकथा "सुख के लिए भटकना क्यों"
आज़ादी की 77 वी वर्षगांठ