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अपनी उलझने खुद सुलझाओ

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Sep 24, 2024
  • 1 min read

Updated: Sep 26, 2024

जिन्दगी के हर गम को पी जाना अच्छा है

मरने की  हसरत लिए जी जाना अच्छा है

भले इस दौड़ से हासिल होना कुछ है नही

कभी कभी यूं ही यहां दौड़ जाना अच्छा है


हम  जो  चाहें वही  हो ऐसा कहाँ  होता है

पास रह कर भी हम मिल लें कहाँ होता है

इंतज़ार में  ही  गुजर  जाती है  ये  जिंदगी

जिस्म तो मिल जातेहैं दिल कहाँ मिलता है


आंखें बंद करने से मुसीबतें कम नही होती

तुम कब तक रहोगे उदास, वह रहेगी रोती

आसुओं के कद्रदा तो  बचे हैं अब मुट्ठी भर

अगर बह जाए तो इनकी कीमत नहीं होती


जो पहचान चस्पा है उससे अब बाहर आओ

तुममेंअगर दम है तो एक नई दुनियाँ बसाओ

दूसरों के भरोसे उलझ जाते हैं जीवन के तार

अच्छा है तुम अपनी उलझने खुद सुलझाओ



किशोरी रमण



आप सब खुश रहें, स्वस्थ रहें और मस्त रहें

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1 Comment


verma.vkv
verma.vkv
Sep 26, 2024

बहुत सुंदर।

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