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Writer's pictureKishori Raman

# अपने खामियों की चर्चा #


मैं अभी अपने एक मित्र का ब्लॉग पढ़ रहा था जिसमे नए साल में अपने पुराने संकल्पों की समीक्षा करने एवं नए संकल्प लेने की बातें कही गई थी। अगर यह संकल्प अपने अंदर की कमियों को पहचानने और फिर उसको दूर करने हेतू है तो यह अच्छी बात है। अगर हम अपने कमियों को स्वीकार कर लें और उसे दूर करने का प्रयास करें तो निश्चित रूप से हमारा भला होगा क्योंकि हम कमियों के साथ समय बिता तो सकते है पर उन्हें जी नही सकते। अतः आज की चर्चा अपनी कमियों और खामियों पर करना चाहूँगा। अगर हम आज अपने अंदर झांके तो पाएंगे कि हम तो बिल्कुल ही बदल गए हैं। हम आज वो नहीं रहे हैं जो पंद्रह-बीस साल पहले हुआ करते थे। आज हमें ना तो विचारों की भिन्नता पसंद है और ना किसी असहमति के लिए हमारे मन में कोई आदर भाव है। आज हम बस अपने को लोकतांत्रिक बताने एवं सारे विश्व को अपना परिवार समझने की घोषणा मात्र को ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते हैं जबकि यह तो खुद अपने आप को धोखा देने के समान है। हमें अपनी संस्कृति एवं इतिहास की बातों पर केवल गर्व ही नहीं करना होगा बल्कि अपने मनीषियों के द्वारा सामाजिक समरसता के लिए बताए रास्तों पर चलना भी होगा। वसुधैव कुटुंबकम का जो बीज मंत्र हमारी संस्कृति का आधार है उसे सबसे पहले अपने आप और अपने समाज पर लागू करना होगा। सहिष्णुता और सहनशीलता सुसंस्कृत व्यक्ति के गुण है। जो व्यक्ति समाज के प्रति सहिष्णु नहीं होगा, एक दिन ऐसा आएगा कि वह अपने परिवार के प्रति भी निर्मम हो जाएगा और उसका निजी जीवन भी कष्टदायी हो जाएगा। आज के दौर में एक दूसरी कमी यह है कि आज हम खुद के जांचे परखे और आजमाए गये विचारों के विपरीत आयातित और खुद पर थोपे गये विचारों को ढोने और उनका अनुपालन करने को अभिशप्त हैं। इसका ही परिणाम है कि बाहरी तत्व हमपे हावी हो जाते है। ये आज प्रेम, करुणा और दया की बुनियाद पर खड़े धर्मो और राजनीति की गलत ब्याख्या कर हमारी सामाजिक समरसता को तोड़ रहे है। साथियों, आइए नए साल में आपसी प्यार, भाईचारा, औऱ एक दूसरे का सम्मान बढ़ाने का संकल्प लें। तमाम विसंगतियों के बाबजूद यह दुनिया अब भी खूबसूरत है।इसे महसूस करने के लिए किसी राजनीतिक या धार्मिक चश्मे या फिर किसी उन्माद की नहीं बस थोड़ी सी संवेदनशीलता की ही जरूरत है। नए साल में कुछ नया होना है तो इसकी शुरुआत हमे अपने आप से ही करनी चाहिए। हमे कुछ ऐसा करना चाहिए कि यह दुनिया थोड़ी मुलायम और निरापद बने। हम गंगा जमुनी तहज़ीब के पैरोकार बने। अपने जुबान के बर्ताव और मोहब्बत भरे समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओ को कमज़ोर न पड़ने दें। क्योंकि हम किसी ऐसे समाज की कल्पना नही कर सकते जिसके लोग अपने कार्यो के प्रति ईमानदार न हो और सामाजिक सरोकारों के प्रति उदासीन हो। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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3 Comments


Unknown member
Feb 08, 2022

very very nice.....

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sah47730
sah47730
Jan 16, 2022

अच्छी सोच और अच्छी दिशा।

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verma.vkv
verma.vkv
Jan 16, 2022

बिल्कुल कटु सत्य को लिखा है ।


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