
एक बार एक भिक्षु अपने शिष्यों के साथ एक नगर से गुजर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक किसान रस्सी से बंधी गाय को घसीट कर अपने घर ले जाने का प्रयास कर रहा है। किसान रस्सी का एक सिरा पकड़े गाय को अपनी ओर खींच रहा है पर गाय एक इंच भी आगे नही बढ़ रही है और रस्सी को तुड़ा कर भाग जाना चाहती है। किसान और गाय के बीच जोर आजमाइश चलती रहती है।
यह दृश्य देख कर भिक्षु अपने शिष्यों को अपने पास बुलाते है औऱ कहते हैं कि ध्यान से सामने देखो और मेरे प्रश्न का जवाब दो। फिर वे प्रश्न करते है कि किसान और गाय, दोनो में से कौन किसके अधीन में है। इसमें मालिक कौन है और उसका गुलाम कौन ? इस पर सभी शिष्यों ने एक स्वर से कहा कि मालिक तो किसान ही है क्योंकि उसके हाथ मे रस्सी है। अतः गाय किसान के अधीन है औऱ उसे किसान के इच्छा अनुसार ही जाना होगा।
भिक्षु ने अपने झोले से एक कैंची निकली और किसान और गाय के बीच तनी रस्सी को बीच से काट दिया। जैसे ही रस्सी कटी गाय किसान से दूर दूसरी दिशा में भाग खड़ी हुई। अब किसान गाय को पकड़ने के लिए उसके पीछे पीछे भागने लगा। भिक्षु ने अपने शिष्यों से कहा- देखो, अब क्या हो रहा है ? वह गाय तो इस किसान की ओर देख भी नही रही है बस भागे जा रही है मानो वह इस किसान से पीछा छुड़ाना चाह रही हो। अब बताओ कि मालिक कौन है, क्योंकि किसान गाय के पीछे भाग रहा है। यानी किसान गाय के बंधन में है तभी तो वह गाय के पीछे भाग रहा है।
सभी शिष्य बड़े ध्यान से भिक्षु की बात सुन रहे थे। भिक्षु ने आगे कहा- हम भी काम, क्रोध, ईर्ष्या और डर इत्यादि कूड़े कचरे को अपने दिमाग मे ढोते रहते है। ये सब दुर्गुण हमारे दिमाग मे रहने को उत्सुक नही रहते है पर चुकि हमारी इनमें रुचि होती है अतः हम इन्हें अपने दिमाग मे जबरदस्ती बैठाए रहते है। फिर हम अपने को इन सबो का मालिक समझते है पर वास्तव में ये हमारे दुर्गुण ही हमारे मालिक होते है और हम इनके गुलाम।
पर जैसे ही हमारा आकर्षण इन सबो के प्रति समाप्त हो जाता है तो हम इसके दुष्परिणामों को जान जाते है। फिर तो ये सब कुविचार और दुर्गुण हमारे दिमाग को छोड़ कर गाय की तरह भाग खड़े होते है और हमारा दिमाग कूड़े कचरे से मुक्त हो जाता है। यानी हमे ये तय करना है कि हम अपने दिमाग के मालिक बन कर रहेंगे और उसमें अच्छे विचारों को जगह देंगे या फिर गुलाम बन कर अपने दिमाग को दुर्गुणों से भरे रखेंगे।
किशोरी रमण
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bahut hi sundar.....
Nice
बहुत सुंदर कहानी ।