कई बार ऐसा होता है कि हम जिन्दगी में आने वाले छोटे छोटे अवसरों को या तो पहचान नही पाते या उन्हें हल्के में लेकर गवां देते है और बाद में पछताते है। इसी पर आधारित है आज की कहानी।
नदी किनारे दो मछुआरे दोस्त बैठे मछली पकड़ रहे थे। दोनो जोश में थे औऱ जल्दी से जल्दी मछली पकड़ना चाह रहे थे। दोनों ने नदी में कांटा फेंका और मछली के फ़सनें का इंतजार करने लगे। दोनो की नजरें पानी मे बिछाये गये कांटे पर थी। कुछ देर मे पहले मछुआरे दोस्त के कांटे में एक बड़ी से मछली फँसी । उसने उसे काटें से निकाल कर मछली को डब्बे में रख लिया और फिर काटें को पानी मे डाला। उसके काटें में और छोटी छोटी मछलियां भी फँसी जिसे उसने खुशी ख़ुशी अपने डब्बे में रख लिया।
उधर दूसरे मछुआरे दोस्त के कांटे में कोई मछली नही फँस रही थी। जब पहले वाले दोस्त ने उसकी मदद करनी चाही तो उसने साफ मना कर दिया। करीब एक घंटे के बाद दूसरे मछुआरे के कांटे में भी एक बड़ी सी मछली फँसी। उस दूसरे मछुआरे ने उस बड़ी सी मछली को थोड़ी देर तक देखा और फिर उसे वापस पानी में फेंक दिया। यह देखकर पहला वाला मछुआरा हैरान हुआ, पर उसने कुछ कहा नहीं। इसी तरह उस दूसरे मछुआरे के कांटे में और भी बड़ी-बड़ी मछलियां फँसती गई पर वह हर बार वैसा ही करता। वह मछली को ध्यान से देखता, कुछ सोचता और फिर उन्हें वापस पानी में फेंक देता। अब यह सब पहले वाले मछुआरे से देखा नहीं गया। उसने पूछ ही लिया कि जब तुम्हारे कांटे में मछलियां फँस रही है तो उन्हें फिर वापस पानी में क्यों फेंक रहे हो ? और जब तुम्हें मछली पकड़ना ही नहीं था तो तुम यहाँ आये ही क्यों और अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हो ?
इस पर दूसरे वाले मछुआरे ने कहा कि उसे छोटी मछली के फ़सनें का इंतजार है। जो भी मछलियां उसके कांटें में फँसी वे सब बडी मछलियां थी, और उसके पास घर में कोई बड़ा बर्तन नहीं है उन बड़ी मछलियों को पकाने के लिए। इसीलिए उसने सभी बड़ी मछलियों को वापस पानी में फेंक दिया है। वह तो बस उस साइज की मछली की तलाश में है जो उसके घर में उपलब्ध बर्तन में आ सके और जिसे वह आसानी से पका सके। उसका यह जवाब सुनकर पहले वाले ने अपना माथा पीट लिया और बोला- दोस्त, तुम्हारे पास अगर ज्यादा बड़े बर्तन नहीं है तो बड़ी मछली को काटकर भी तो पकाया जा सकता है।
इसी तरह से हममें से ज्यादातर लोगों दूसरे मछुआरे की तरह होते हैं जो एक बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने रास्ते में आए छोटे-छोटे मौकों या अवसरों को पहचान नहीं पाते। कई बार यह छोटे-छोटे मौके ही हमें अपने बड़े लक्ष्य की और ले जाते हैं। हमें अपनी जिंदगी में आने वाले हर मौके को खुशी-खुशी स्वीकार करना चाहिए। ये हमेशा याद रखें कि सपने आपके है तो इसे पूरे भी आपको ही करने होंगे। न ही कभी हालात और न ही कभी लोग आपके हिसाब से होंगे। आपको परिस्थितियों के अनुसार ढलना होगा । आप अपने जिंदगी में सब कुछ हासिल कर सकते हैं जो आप चाहते हैं बशर्ते आपको अपने सपने और सामर्थ्य पर यकीन हो।
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments.
Please follow the blog on social media.link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
top of page
मेरी रचनाएँ
Search
Recent Posts
See All4 Comments
Post: Blog2_Post
bottom of page
bahut hi sundar....
सुन्दर और सीख भरी कहानी
Very nice...
वाह, शिक्षाप्रद कहानी ।