अनिश्चितताओ के दौर तो आते है
पर हमे इनसे घबराना नही है ।
परिवर्तन तो जीवन की सच्चाई है
हमे इनसे भय खाना नही है।
नियति का चक्र तो यूँ ही चलता है
समय के साथ सब कुछ बदलता है।
सूखे पंखुड़ी झरते हैं जब फूलो से
टहनियों से नया शतदल निकलता है।
जीतने के लिए कुछ तो करना होगा।
कुछ पाने के लिए कुछ खोना होगा
आने वाला कल का सूरज हमारा होगा
पर पहले अपने आप को बदलना होगा।
आओ हम थामे एक दूसरे का हाथ
आओ हम चले समय के साथ
जीत उसी की जिसमे जितने का दम हो
आओ रचे हम एक नया इतिहास ।
- किशोरी रमण
so beautiful....
बहुत सुन्दर रचना |