Kishori Raman
आज मुझे रो लेने दो

दर्पण तो केवल सच दिखाता है फिर भी वह आलोचना का शिकार होता है। इसी तरह दूसरों की भलाई करने वाले लोगों को भी बहुत सारे इल्जाम झेलने पड़ते हैं। पर जब ये इल्जाम दूसरों को पीड़ा पहुँचाने वाले काँटों की तरफ से लगाये जाते है तो तकलीफ होना स्वाभाविक है और तब आँसू बहाना उसकी नियति बन जाती है। इन्ही सब भावनाओं को ब्यक्त करती है आज की कविता जिसका शीर्षक है...... आज मुझे रो लेने दो दुनियां की सब झूठी रस्मे मरने और जीने की कसमे हँसने की तो बात कहाँ पर रोना ही है मेरे बस में दिल के टूटे भावों को आंसू में आज भिगोने दो आज मुझे रो लेने दो दीप जलाना पाप हो गया सच कहना अभिशाप हो गया अपनी ही सांसो का कातिल कैसे मैं चुपचाप हो गया दर्पण ज्यों बदनाम हुआ है मुझको भी अब होने दो आज मुझे रो लेने दो बंद रौशनी मूक निगाहें तुमको हम कैसे समझाये फूलो की तो बात नहीं पर कांटो ने इल्जाम लगाये खोया हूँ औरो के खातिर अपनो में अब खोने दो आज मुझे रो लेने दो उदासी मेरा मीत है दुखो से भरा अतीत है लिखा नही जिसे पन्नों पे वही तो मेरा गीत है अरमानो की कब्र खुदी है मुझको भी अब सोने दो आज मुझे रो लेने दो किशोरी रमण If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com