Kishori Raman
" आत्म-नियंत्रण की कला "

एक गाँव में एक लड़का रहता था जो बहुत ही जिज्ञासू स्वभाव का था। जहाँ भी उसे नई चीज़ सीखने को मिलती वह उसे सीखने को तत्पर रहता था। उसने एक तीर बनाने वाले से तीर बनाना सीखा। नाव बनाने वाले से नाव बनाना सीखा। मकान बनाने वाले से मकान बनाना सीखा। बाँसुरी बनाने वाले से बाँसुरी बनाना सीखा। इस प्रकार वह बहुत सारी कलाओं में प्रवीण हो गया। मगर इसके साथ ही उसमें अहंकार भी आ गया। अब वह अपने आप को बहुत बड़ा आदमी भी समझने लगा। वह अक्सर अपने मित्र जनों एवं परिजनों को कहता कि इस पूरी दुनिया में मुझ जैसा प्रतिभावान कोई नहीं है। सब उसकी बात सुनते और खामोश रहते। कुछ दिनों के बाद उसके गाँव में गौतम बुद्ध का आगमन हुआ। उन्होंने भी उस लड़के की कला और अहंकार दोनों के बारे में सुना। वे सुनकर कुछ सोचा में पड़ गए। फिर उन्होंने सोंचा कि इस लड़के को ऐसी कला सिखानी चाहिए जो अब तक इसके द्वारा सीखी गई सभी कलाओं से बड़ी हो। एक दिन वे भिक्षा-पात्र लेकर भिक्षाटन के लिये जब उस गाँव मे निकले तो उस लड़के के पास भी गये। लड़के ने उनसे पूछा कि आप कौन हैं ? बुद्ध बोले मैं अपने शरीर को नियंत्रण में रखने वाला एक इन्सान हूँ। लड़के को कुछ समझ में नहीं आया। उसने गौतम बुद्ध से कहा- महोदय, आप अपनी बात स्पष्ट करें। तब गौतम बुद्ध ने कहा जो तीर चलाना जानते हैं वह तीर चलाते हैं। जी नाव बनाना जानता है वह नाव बनाते है। जो मकान बनाना जानता है वह मकान बनाता है, मगर जो ज्ञानी है वह सबो पर शासन करता है। लड़के ने पूछा, वह कैसे ? बुद्ध ने उत्तर दिया यदि कोई उसकी प्रशंशा करता है तो वह अभिमान से फुल कर खुश नहीं हो जाता और यदि कोई उसकी निंदा करता है तो भी वह शान्त बना रहता है। और ऐसा व्यक्ति ही सदैव आनंद से भरा रहता है। लड़का अब जान चुका था कि सामने कोई बहुत ही पहुँचे हुए महान संत हैं। अब उसे यह भी समझ आ गया था कि सबसे बड़ी कला स्वयं को बस में रखना है। जिस व्यक्ति में आत्म-नियंत्रण की कला होती है तो उसमें समभाव भी होता है। यही समभाव अनुकूल और प्रतिकूल दोनों परिस्थितियों में इंसान को प्रसन्न रखता है। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com