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"आनंदमय जीवन के लिए"

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Apr 11, 2022
  • 2 min read

Updated: Apr 12, 2022



अगर आप सुखी और आनंदमय जीवन पाना चाहते है तो आपको राग, द्वेष और ईर्ष्या का त्याग करना होगा। ये उपदेश तथागत बुद्ध ने अपने शिष्यों को दिया था। एक बार गौतम बुद्ध एक जंगल मे पत्तों के आसन पर विराजमान थे। वह बड़े आराम से प्रसन्न मुद्रा में बैठे हुए थे। उसी समय उनका एक प्रिय शिष्य उनके पास आया और बड़े ही प्यार से पूछा। महाराज, कल तो आप बहुत सुखपूर्वक सोये होंगें ? बुद्ध ने कहा, हाँ शिष्य, कल मैं बहुत सुख की नींद सोया। पर भगवान, कल रात को हिमपात हो रहा था, अतः ठंड भी ज्यादा थी। शीत हवा तेजी से बह रही थी। आप जिसपर बैठते और सोते हैं वह पत्तो का आसन तो बिलकुल पतला है फिर भी आप कहते हैं कि आप सुख की नींद सोये ? बुद्ध बोले अच्छा शिष्य, किसी राजा के पुत्र का कक्ष चारों ओर से बंद हो, और उसके पलंग पर मोटा गद्दा बिछा दिया गया हो, तकिया हो और ऊपर से आरामदायक चादर हो, उसकी सेवा के लिए कई सेवक-सेविकाएँ हमेशा तत्पर हो तब क्या ऐसी स्थिति में वह राजा का पुत्र सुख से सो पायेगा ? शिष्य बोला, हाँ महाराज। जब इतनी सुख सुविधा हो तो वह सुख की नींद क्यों नहीं सोएगा ? फिर बुद्ध ने शिष्य से पूछा, यदि राज पुत्र को रोग के कारण शारीरिक या मानसिक कष्ट हो तो क्या वह सुख से सोएगा ? इस पर शिष्य बोला- नहीं महाराज, वह सुख से नहीं सो पाएगा। बुद्ध ने फिर कहा, और यदि उस राजपूत्र को द्वेष या मोह से उत्पन्न होने वाली कोई भी मानसिक या शारीरिक कष्ट हो तो क्या वह सुख से सोएगा ? शिष्य बोला- नहीं महाराज, ऐसी अवस्था में भी वह सुख से नहीं सो पाएगा। तब भगवान बुद्ध ने कहा- हे शिष्य, मनुष्य के अंदर उत्पन्न होने वाली राग, द्वेष और इन सभी चीजों से उत्पन्न होने वाली मेरी जलन जड़-मूल से नष्ट हो गई है। इसी कारण मेरे अंदर शारीरिक या मानसिक किसी तरह का कोई कष्ट हो मुझे उसकी अनुभूति न होने के कारण मुझे सुख की नींद आई थी। वास्तव में अच्छी नींद के लिए अच्छे बिछावन की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि हमारे सुखद नींद के लिए हमारे चित्त का शान्त होना ही सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इस कहानी से यह सीख मिलती है कि आप गरीब हो या अमीर, अगर आप का चित शान्त है, मतलब अगर आपके अंदर दूसरों के प्रति राग, द्वेष और ईर्ष्या न के बराबर आते हैं तो आप गरीब हो कर भी इस दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति हैं। सुख और दुख तो हमारे अंदर में है, हमारे मन में है। इसीलिए राग ,द्वेष और ईर्ष्या का त्याग कर दीजिए। आपका जीवन सुखमय और आनंदमय अपने आप हो जाएगा। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




3 Comments


Unknown member
Jul 09, 2022

Bahut hi acchi kahani hai...

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verma.vkv
verma.vkv
Apr 12, 2022

वाह, अच्छी और प्रेरणादायक कहानी।

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sah47730
sah47730
Apr 12, 2022

सही कथन


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