top of page
Writer's pictureKishori Raman

" आज़ादी का अमृत-महोत्सव "



अभी हम अपनी आजादी का अमृत-महोत्सव मना रहे हैं।हमारी आजादी के पचहत्तर साल हो चुके हैं। आज स्वाभाविक ही है कि हम इन 75 सालों का लेखा-जोखा करें। हम ये आकलन करें कि इन 75 सालों में हमारे गणराज्य की परिकल्पना कितनी परिपक्व हुई है। हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की जड़े कितनी गहरी हुई है ? और इसके बदौलत हासिल शक्ति और संपन्नता से देश और इसके नागरिकों का कितना भला हुआ है? उनके जीवन स्तर में कितना सुधार हुआ है ? उनके बुनियादी और मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने में हम कितने समर्थ हुए हैं ? विश्व के अन्य लोकतांत्रिक देशों में सैन्य एवं अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में हम कहाँ खड़े हैं ? हम यह कहते नहीं थकते कि हमारा देश विश्व का प्राचीनतम गणतंत्र है और अभी विश्व का सबसे बड़ा एवं जीवंत लोकतंत्र भी। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए हम विश्व की एक बड़ी अर्थव्यवस्था, बड़ी सैन्य शक्ति तथा विश्व गुरु का दर्जा हासिल करने की राह पर अग्रसर है। जब हमारा देश आजाद हुआ था तो उस समय अंग्रेजी एवं पश्चिमी विद्वानों ने भविष्यवाणी की थी कि हमारा लोकतंत्र ज्यादा दिन नहीं चलेगा और इसकी भ्रूण हत्या हो जाएगी। इन आशंकाओं के पीछे उनकी सोच थी कि चूंकि यह देश विभिन्नताओं का देश है जहाँ भिन्न-भिन्न तरह के धर्म, जाति, भाषा, सांस्कृतिक पहचान और मान्यताएं हैं अतः यह एक सफल राष्ट्र बन ही नहीं सकता। इसके लोग अपने अंतर्विरोध के कारण एक राष्ट्र बनने के पहले ही लड़कर समाप्त हो जाएंगे।

पर उनकी भविष्यवाणी सही साबित नही हुई। चुँकि वह शुरुआती दौर का जोश था और देश को आजादी की लड़ाई से निकले तपे तपाए कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार नेताओं का नेतृत्व हासिल था। जनता भी अनपढ़ ही सही सीधे एवं निष्कपट थी अतः हमारी अनेकता हमारी शक्ति बन गई। इस देश के लोगों ने अनेकता में एकता के मुहावरे को चरितार्थ कर इसे फूलों का रंग बिरंगा गुलदस्ता बना दिया और उनकी भविष्यवाणी असत्य साबित हुई। हम एक बृहद एवं विविध भारत के रूप में दुनिया के मानचित्र पर मजबूती से खड़े रहे जिसे सारी दुनिया ने आश्चर्य और कौतूहल से देखा और सलाम किया। फिर उसके बाद की पीढ़ी आई और आपसी समझ और लोगों के प्रति, समाज और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति हमारे निष्ठा में गिरावट शुरू हुई। हालाँकि इन मामूली गिरावट के बावजूद भी हमारा देश आगे बढ़ता रहा। देश और लोकतंत्र व्यक्तिगत इच्छाओं, आकांक्षाओं के ऊपर ही रहा। लेकिन जैसे-जैसे आजादी की लड़ाई में शामिल हमारे बड़े बुजुर्ग और स्वतंत्रता सेनानी गुजरते गए, बाजारवाद , पश्चिमवाद और पूंजीवाद हावी होते गया। लोकतांत्रिक मूल्यों, संबिधान और देश के प्रति हमारी आस्थाओं एवं मान्यताओं में गिरावट शुरू हो गई। आज आजादी के 75 सालों के बाद हमारी स्थिति क्या है ? आजादी के तुरंत बाद हुए जिन षडयंत्रो से हमारा देश बच गया था आज वे फिर से सर उठा रहें है और फलीभूत भी हो रहें हैं। समाज में धर्म के नाम पर भाषा के नाम पर जाति के नाम पर संस्कृति के नाम पर नफरत फैलाए जा रहे हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है ? क्यों हम अपने ही मुल्क को तोड़ने पर अमादा है। यह सही है कि हमारे नेता और व्यवस्था भी जनता की आशाओं और आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरें है। इसके कारणों के लिए नीचे दिए गए तथ्यों पर विचार आवश्यक है। हम भारत के लोग अपनी अपनी अस्मिताओं की रक्षा करते हुए सह-अस्तित्व की सही गणतांत्रिक समझ अब तक विकसित नहीं कर पाए हैं। लोकतंत्र में रहते हुए भी लोकतांत्रिक होना अभी तक नहीं सीख पाये हैं। हम अपने और अपनी चीजों व मान्यताओं को श्रेष्ठ मानना छोड़ सामान्य नागरिक होना सीख नहीं पाए हैं।हमारा दिन प्रतिदिन का व्यवहार, हमारी घोषणाएँ या अभी की राजनीति इन्हीं सब गिरावट का उदाहरण है। हम विभिन्नताओं में जीते तो हैं लेकिन उसे स्वीकार करने लायक लोकतांत्रिक नहीं हुए हैं। हम एक दूसरे के पहनावे, धर्म, जाति, भाषा या उसके चमड़ी के रंग से अलग हटकर देखना आज तक भी सीख नहीं पाये हैं। आज अलोकतांत्रिक व्यवहार करने वाले लोग बढ़ते जा रहे हैं। हमें लगता है कि हमारे विचारों से इतर विचारों वाला व्यक्ति समाज का कलंक है और उसे समाज में नही रहने देना चाहिए। ऐसे में अमृत महोत्सव मनाना तभी सार्थक रहेगा जब हम न सिर्फ यह पता लगाएँ की अमृत कहाँ गया ? बल्कि यह भी पता लगाएँ कि इतना सारा जहर समाज मे आ कहाँ से रहा है ? जिस दिन हम जान पाएगें इसका राज, हम सतर्क और सावधान हो जाएंगे, देश और समाज के प्रति किए जा रहे हैं षडयंत्रो से। तो जागिए, समझिए और अपने देश और इसके लोकतंत्र को बचाइए। आज देश के संविधान को समझने की आवश्कता है। कम से कम उसके प्रस्तावना को तो रोज ही पढ़ने का प्रयास होना चाहिये ताकि हम, हमारी निष्ठा और हमारा संकल्प कमजोर न हो। हम अपने इरादों एवं लक्ष्यों से भटके नही। किशोरी रमण



BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




109 views4 comments

Recent Posts

See All

4 Comments


Unknown member
Sep 08, 2022

Bahut hi sundar..

Like

sah47730
sah47730
Aug 29, 2022

हमारी वर्तमान वास्तविकता और ऐतिहासिक तथ्य को उजागर करते हुए महत्वपूर्ण सुझावों से युक्त रचना। हमें इन सुझावों को अमल में लाने की आवश्यकता है।

Like

verma.vkv
verma.vkv
Aug 26, 2022

वाह, अमृतमहोत्सव की सुंदर विवेचना।

Like

Unknown member
Aug 26, 2022

Bahut hi sundar....

Like
Post: Blog2_Post
bottom of page