उम्मीद करना छोड़ दीजिए
- Kishori Raman
- Oct 12, 2024
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दिन का सूरज जब ढल जायेगा
उम्र का एक दिन फिसल जायेगा
ये चक्र बस यूं ही चलता रहेगा
हम जायेंगे तो कोई और आएगा
बहुत जी ली हमने ये जिंदगी
फिर क्यों जाने से डर लगता है
देखते है किसी को यहांसे जाता
तब ये जिंदगी सफर लगता है
हम तो शिकायतों में रहे मशगूल
कौन छोड़ गया पता ही न चला
जब खुद के जाने की बारी आई
तब समझ पाया क्या है मामला
माना जिंदगी भी एक नाटक है
पर यहां कोई री टेक नही होता
वक्त एक बार गुजर जाए तो
फिर जीने का मौका नहीं मिलता
खुद के सामर्थ पर भरोसा कीजिए
कोई साथ देगा भ्रम तोड़ लीजिए
अगर सुकून से रहना चाहते है तो
किसीसे उम्मीद करनाछोड़ दीजिए
किशोरी रमण
आप सब खुश रहें, स्वस्थ रहें और मस्त रहें
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वाह, बहुत सुंदर रचना।
यही ज़िन्दगी की सच्चाई है।
जीवन के यथार्थ को रेखांकित करती हुई शानदार रचना।