कौन हैं वो लोग
जो चाहते हैं कि
हम न पढ़े
जो चाहते हैं कि
पुरानी रवायते न बदले
जो चाहते हैं कि
हम आपस में लड़े
दूसरो के टुकड़ों पर पले
कौन कर रहा है हमारे
हक की हकमारी
कौन कर रहा है हमारे
मेहनत के फल का बंदर बांट
किसने किया हमारे
धरती, प्रकृति का सर्वनाश
ये देश, ये धरती तो
हमारे पुरखों की थाती है
इनसे उनके खून और पसीने की
खुशबू आती है
जियो और जीने दो को
धर्म समझने वालों से
मिलजुल कर रहने का
मर्म समझने वालों से
किसने छीन ली
जल, जंगल और जमीनें
क्यों दूर किए गए इनसे
झरने,पहाड़,जानवर
ये तो समझते थे सबकी भाषा
फिर कैसे टूटा इनसबों से नाता
सोचों भाई सोचों
कौन नही चाहता हम पढ़े
कौन नही चाहता हम बढ़े
कौन ?
किशोरी रमण
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