top of page
  • Writer's pictureKishori Raman

*एक साँवली सी लड़की - राम्या*- भाग -१



रविवार का दिन था | मैं परिवार वालों के साथ बैठा फिल्म देख रहा था तभी छोटी बेटी , नेहा चिल्लाई ..अरे पापा आपका मोबाइल बज रहा है |


बेटी मोबाइल देना तो देखूं ,कौन है ? मैं अलसाए स्वर में बोला |


अच्छा लाती हूँ पापा …और नेहा फ़ोन हाथ में देकर चली गई | मोबाइल में कॉल करने वाले का नाम डिस्प्ले हो रहा था | नाम को देख कर मैं चौक उठा | अपनी चोर नज़रे इधर उधर घुमाई | कोई देख तो नहीं रहा है ? जब इत्मीनान हो गया की सब टीवी देखने में व्यस्त है तो धीरे से उठ कर अपने कमरे में आ गया , यह सोच कर कि इत्मीनान से बातें करेंगे |


जब तक मैं कमरे में पहुँचा तब तक कॉल कट गया था | सोचा चलो इंतज़ार करते है , शायद कॉल करने वाला दोबारा कॉल करे | फिर कुछ सोच कर वह अपनी नादानी पर हंस पड़ा | अरे , मुझे डरने की क्या बात है ? कॉल करने वाले का नाम रमाकांत मोबाइल में सेव है | भला रमाकांत नाम पढ़ कर कोई थोड़े ही न समझेगा कि किसी लड़की का फ़ोन है ..राम्या का |


वह कॉल का इंतज़ार करता रहा पर कॉल फिर नहीं आई | ऐसा दूसरी बार हुआ है ,जब वह इसी नम्बर पर इधर से फ़ोन करता है तो ..स्विच ऑफ का मेसेज आता | इसका क्या मतलब भला ? शायद जब भी वह कॉल करती है तो फ़ोन ऑन करती है और फिर उसे स्विच ऑफ कर देती है | भला यह क्या चक्कर है ? कहीं पत्नी को पता चल गया तो ..कहेगी ..इ बुढौती में जब बाल बच्चे जवान हो रहे है तो आप पर इश्क करने का भूत सवार हुआ है |


अब उसे कौन समझाए भला कि इश्क का भूत तो राम्या पर सवार हुआ है | और शुरुवात तो उसने की है| भला मैं उस दिन को कैसे भूल सकता हूँ जब उसने पहली बार फ़ोन किया था | मैं ऑफिस में ज़रूरी फाइलें निबटा रहा था कि मेरी मोबाइल की घंटी बजी | अनजान नम्बर देख कर मैंने कॉल रिसीव नहीं किया |सोचा ,पता नहीं कौन है, , चलो बाद में देखते है | फिर मैं काम में व्यस्त हो गया | पांच मिनट बाद फिर कॉल आया उसी नम्बर से || अब चुकी काम मैंने निपटा लिए थे अतः सोचा देखे कौन कॉल कर रहा है |


हेल्लो, मैंने धीरे से कहा |


हेल्लो उधर से एक मीठी खनकती हुई ज़नानी आवाज़ आई | लगा जैसे कोयल कूक रही हो | मैं चौक गया और अपनी कुर्सी पर सावधान हो कर बैठ गया |


मैं राम्या बोल रही हूँ…उधर से आवाज़ आई |


कौन राम्या ? मैंने अपने दिमाग पर जोर लगाया | मैं तो किसी राम्या को नहीं जानता हूँ | कृपया अपना परिचय दें | उधर से एक खनकती हुई हँसी सुनाई दी | मर्दों की यही फितरत होती है प्यार करो और भूल जाओ, उधर से आवाज़ आई |


क्या ? आप क्या बोले जा रही है | मैं तो आपको जानता भी नहीं हूँ |


जानते तो है श्रीमान प्रशांत जी उर्फ़ शांत जी …पर शायाद भूल गए है | वैसे वक़्त भी तो काफी बीत गया है | करीब तीस साल तो हो ही गए होंगे | क्यों मैं ठीक कह रही हूँ न ?


अरे, तुम्हे मेरा नाम कैसे मालूम है ? अब मैं सचमुच घबरा गया था | ललाट पर पसीने की बुँदे दिखने लगी थी | मेरा नाम प्रशांत था लेकिन चूँकि बहुत शांत स्वभाव का था तो लोग मजाक में मुझे शांत कह कर बुलाते थे |


और सुनो मिस्टर शांत …मैं तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानती हूँ कि तुम एक लड़की से प्यार करते थे, उसका चक्कर लगाते थे पर वह तुम्हारी तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखती थी |


मैं सचमुच पानी पानी हो रहा था .| मैंने लगभग गिडगिडाते हुए कहा …तुम कौन हो ? अब तो अपना परिचय दे दो |


उधर से हंसने की आवाज़ आई | एक बात बताऊँ ? तुम वैसे तो लड़कियों से दूर भागते थे और क्लास में पीछे बैठते थे लेकिन एक दिन हिम्मत कर के लड़कियों के पीछे वाले बेंच पर बैठ गए थे | और गुलशन जो क्लास का दादा था और लड़कियों के पीछे वाले बेंच पर बैठना अपना जन्मजात अधिकार समझता था उसने तुम्हारी किताबें फेक दी थी और तुम्हे धक्का देकर उस बेंच से भगा दिया था | क्यों याद है न ?


अब मुझे विश्वास हो चला था कि यह लड़की ज़रूर मेरे कॉलेज की कोई सहपाठी है..पर कौन ? उस समय तो हमारी क्लास में पांच लड़कियां ही थी , पर राम्या नाम तो किसी का नहीं था और न ही किसी लड़की से मेरा चक्कर ही था (मेरी हिम्मत ही नहीं होती थी किसी लड़की से बात करने की, फिर चक्कर क्या होता )


मैंने ने कहा ..देखिए ..अब आप पहेलियाँ बुझाना बंद कीजिये | प्लीज बताइये कि आप कौन हैं ?


अरे बोला ना , मेरा नाम राम्या है |


पर राम्या नाम की कोई लड़की तो मेरे क्लास में नहीं पढ़ती थी |


मैं कब कह रही हूँ कि मैं आपके क्लास में पढ़ती थी |


तो फिर मेरा नाम और मेरे कॉलेज के दिनों के बारे में इतनी सारी बातें कैसे जानती हो |


मैं आपसे एक साल जूनियर थी , कुछ याद आया ?


मैं कुछ याद करने की कोशिश करने लगा |

वह फिर बोली….याद कीजिये | आपके कॉलेज जाने के रास्ते में फारेस्ट डिपार्टमेंट का क्वार्टर था | उसमे एक सांवली सलोनी लेकिन सुन्दर सी लड़की रहती थी | जब भी आप उधर से गुज़रते उस क्वार्टर को निहारते थे कि शायद उस लड़की का दीदार हो जाये | और एक दिन जब आप ने उसे खिड़की पर खड़े देखा तो अपनी नज़रे हटा नहीं पाए और उधर देखते ही रह गए और एक सिरफिरे साइकिल वाले ने आपको ठोकर मार दिया था |


मुझे लगा किसी ने मुझ पर ठंडा पानी उड़ेल दिया हो | अब याद आ रहा था वो घटना | उस साइकिल एक्सीडेंट में मेरे बाएं हाथ में हल्का फ्रैक्चर हो गया था और प्लास्टर चढ़वाना पड़ा था |


तो यह लड़की राम्या है जिसका सचमुच में दीवाना था |

शेष अगले भाग में .....

किशोरी रमण

BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED... BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments. Please follow the blog on social media. link are on contact us page. www.merirachnaye.com

256 views3 comments
Post: Blog2_Post
bottom of page