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Writer's pictureKishori Raman

# कर्म क्या है ?#

Updated: Dec 1, 2021


एक बार की बात है। गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे। तभी एक शिष्य ने गौतम बुद्ध से प्रश्न किया कि कर्म क्या है ? इसपर गौतम बुद्ध ने कहा, कर्म क्या है ? यह समझाने के लिए मैं तुम्हे एक कहानी सुनाता हूँ। कहानी सुनकर तुम सब अच्छे से समझ जाओगे कि कर्म क्या है। राजखंड में एक राजा घोड़े पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था। चलते चलते वह एक दुकान के सामने आकर रुक गया। रुकने के बाद राजा कुछ देर वहीं खड़ा रहा। फिर उसने अपने मंत्री से कहा-मंत्री जी, मालूम नहीं क्यों मुझे लगता है कि मैं इस दुकानदार को कल के कल फांसी की सजा सुना दूँ। इसे दंड देने की मेरी इच्छा हो रही है। मंत्री राजा से इसका कारण पूछ पता इसके पहले ही राजा वहाँ से आगे बढ़ गया। मंत्री भी राजा के पीछे पीछे चल दिया। मंत्री अगली सुबह वेश बदलकर, और आम जनता का रूप बनाकर उसी दुकानदार के पास जा पहुँचा। वह दुकानदार चंदन की लकड़ियां बेचने का काम करता था। मंत्री ने दुकानदार से पूछा-क्यों भाई, आपका काम कैसा चल रहा है ? इस पर दुकानदार ने बताया कि उसका बहुत ही बुरा हाल है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन के बारे में पूछते हैं, उसे सूंघते हैं और उसकी प्रशंसा भी करते हैं। लेकिन खरीदता कोई नहीं है। फिर वह दुकानदार आगे बोला कि मैं तो बस इस इंतजार में हूँ कि कब मेरे राज्य के राजा की मृत्यु हो और उसकी अंत्येष्टि के लिए मेरे दुकान से बहुत सारे चंदन की लकड़ी खरीदी जाए। और शायद वहाँ से मेरे व्यापार में ढेर सारी बृद्धि हो और मेरा व्यापार भी अच्छा हो जाय। मंत्री को सारी बात समझ में आ गई। यही वह नकारात्मक विचार है जिसने राजा के मन को भी नकारात्मक कर दिया है। वह मंत्री बुद्धिमान था। उसने सोचा कि मैं थोड़ी बहुत चंदन की लकड़ियां खरीद लेता हूँ। उसने दुकानदार से कहा -क्या मैं आपसे थोड़ी बहुत चंदन की लकड़ी खरीद सकता हूं ? यह सुनकर दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, चलो कुछ तो बिका। इतने समय में कुछ भी नहीं बिका था। उसने चंदन की लकड़ी को कागज में लपेट कर अच्छे से पैकिंग कर मंत्री को दे दिया। मंत्री अगली सुबह चंदन की लकड़ी लेकर राजा के दरबार में पहुँच गया। उसने राजा से कहा, महाराज, वह जो दुकानदार है उसने आपके लिए तोहफे के रुप में चंदन की कुछ लकड़िया भेजी है। यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। वह सोचने लगा कि मैं नाहक ही उस बेचारे दुकानदार के बारे में गलत सोच रहा था। वह तो बड़ा भला आदमी है। उसने चंदन की लकड़ी को हाथों में लिया, उसे अच्छी तरह से सूंघा। उससे बहुत ही अच्छी सुगंध आ रही थी। राजा बहुत खुश हुआ और उस दुकानदार के लिए मंत्री के हाथों सोने के सिक्के भिजवा दिये। अगले दिन वह मंत्री फिर वेश बदल कर दुकानदार के पास पहुंचा। उसने राजा की तरफ से सोने के सिक्के दुकानदार को दिया। दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, मैं राजा के बारे में कितनी गलत बातें सोच रहा था। राजा तो बड़ा दयालु है। और यहीं पर गौतम बुद्ध ने कहानी खत्म कर दी। कहानी खत्म होने के बाद गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों से पूछा कि अब आप बताइए कि कर्म क्या होता है ? शिष्यों ने उत्तर देते हुए कहा कि शब्द ही हमारे कर्म है। हम जो काम करते हैं वही हमारे कर्म है। हमारी जो भावनाएं हैं वही हमारे कर्म है। जवाब सुनकर गौतम बुद्ध ने कहा- आपके विचार ही आपके कर्म है।अगर आपने अपने विचारों पर नियंत्रण करना सीख लिया तब आप एक महान इंसान बन सकते हैं। जब आप अच्छा सोचते हैं तो आपके साथ अच्छा होता है, और वह आगे भी होता ही रहेगा। इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि सबके लिए हमेशा अच्छा सोचें। अगर आप दूसरो के लिए अच्छा विचार रखते है तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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3 comentários


Membro desconhecido
08 de fev. de 2022

very nice....

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sah47730
sah47730
01 de dez. de 2021

सीख भरी व सुन्दर

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verma.vkv
verma.vkv
01 de dez. de 2021

बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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