कविता " कभी तो आयेगी "
- Kishori Raman
- Feb 18, 2022
- 1 min read

" कभी तो आयेगी "
वो सुबह कभी तो आयेगी
जब चिड़ियाँ चह-चहायेगी
फिजाओं में फूल खिलेंगे
आँगन में धूप मुस्कुरायेगी
तारों से सजी ये रात होगी
जुगनुओं की बारात होगी
मंद हवाओं के झोकों में
खुशबूओं की सौगात होगी
तब हम होंगेंऔर जमाना होगा
हमारे प्यार का फ़साना होगा
वख्त जब आकर ठहर जाएगा
जाने का न कोई बहाना होगा
उन्हें ख़ुदा की कायनात कहेंगे
वो आयेंगी तो उनसे बात करेंगे
अगर होगा मेरी दुवाओं में असर
अपनी ग़ज़ल से मुलाकात करेंगें
कुछ वो कहेगी कुछ मैं भी कहूँगा
मुहब्बत का इजहार कर के रहूँगा
अपने भी किस्से तब होंगे मशहूर
जब वो लैला और मैं मजनूँ बनूँगा
किशोरी रमण
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वाह! भावनाओं को कभी बूढ़ा नहीं होना चाहिए। उम्र कितनी भी हो जाए मन लैला मजनूं की तरह जवां होना ही चाहिए।
very nice.....
अति सुन्दर रचना
बहूत सुन्दर रचना ।