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  • Writer's pictureKishori Raman

कविता " कल्पित परिकथा "

Updated: Aug 14


जिस जिन्दगी को हकीकत मानते हैं वो हमारी कल्पित परि कथा होती है जब अपने भी छोड़ देते हैं अकेला तब हमारे साथ हमारी ब्यथा होती है मौत से किसी को क्यों हो शिकायत उसका तो हर फैसला नेक होता है राजा और रंक का भेद है यही तक वहां तो सबका बिस्तर एक होता है रिश्ते नाते सब यहां बेमानी होते है स्वार्थ और फरेब की कहानी होते है प्रेम का मतलब जो भी समझ पाए वो ही यहां सबसे बड़े ज्ञानी होते हैं अपने हिस्से का दर्द यहां सब को खुद अकेले ही सहना पड़ता है सच बोलने से बचने वालों को भी राम नाम सत्य है कहना पड़ता है किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com

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