
जिस जिन्दगी को हकीकत मानते हैं
वो हमारी कल्पित परि कथा होती है
जब अपने भी छोड़ देते हैं अकेला
तब हमारे साथ हमारी ब्यथा होती है
मौत से किसी को क्यों हो शिकायत
उसका तो हर फैसला नेक होता है
राजा और रंक का भेद है यही तक
वहां तो सबका बिस्तर एक होता है
रिश्ते नाते सब यहां बेमानी होते है
स्वार्थ और फरेब की कहानी होते है
प्रेम का मतलब जो भी समझ पाए
वो ही यहां सबसे बड़े ज्ञानी होते हैं
अपने हिस्से का दर्द यहां सब को
खुद अकेले ही सहना पड़ता है
सच बोलने से बचने वालों को भी
राम नाम सत्य है कहना पड़ता है
किशोरी रमण
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हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
Very nice.
वाह, बहुत सुंदर और हकीकत से रु ब रु कराती कविता।