"कहीं तो कोई होगा"
कहीं तो कोई होगा जो मेरे लिये रोया होगा तकिये को उसने आँसुओ से भिंगोया होगा तन्हाई और उदास रातों को मुझे याद कर एक पल भी वह चैन से नही सोया होगा मुझे पा लेने की आशा में सबकुछ खोया होगा उसकी राहों में जमाने ने कांटा ही बोया होगा टूट गये होंगे उसके वे सारे हसीन सपने बड़ी मुश्किलों से जिन्हें उसने सँजोया होगा नफ़रत के जख्म तो उसे मिले होंगे बे-हिसाब औरोंके जख्म को अपना समझके धोया होगा दरिया में डूबने का उसे डर भला क्या होगा ? जिसने अपना सब कुछ खुद ही डुबोया होगा वो आये तो सही, मुझे देखे अजनवी बन कर क्या पता उसकी नज़रों से ही मेरा भला होगा
अब तो उनसे उम्मीदें हैं उनके रहमो-करम की
देखें अब ज़िन्दगी का क्या फ़ैसला होगा ?
किशोरी रमण
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very nice script.....
बहुत सुंदर रचना ।