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कविता " कोई नही पास होता है "

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Jul 29, 2022
  • 1 min read

Updated: Aug 11, 2022


( 1 ) वो शरमाती है इसीलिए चुपके से आती है उनके जुड़े में गूँथे फूलों की खुशबू भेद खोल जाती है जो पहले चली आती है चाहे कोई दूर या पास होता है उसे खुशबू का इंतेज़ार होता है जब खुशबू कहीं खो जाते हैं या किसी और के हो जाते हैं तब हमारे मन की हालत मुट्ठी में फँसे रेत की तरह हो जाते है ( 2 ) जब वो मुस्कुराती है मौसम में जान आती है जब भौंरे मचलते हैं हजारों फूल झरते हैं जिन्हें प्रकृति से प्यार होता है उन्हें फूलों के झरने का इंतेज़ार होता है फूल तो झरते है पर पता नही किसकी झोली में गिरते हैं मेरी अँजुरी तो अंत तक खाली ही रहते हैं ( 3 ) जब वो इठलाती है ज़िंदगी के समंदर में आग सी लग जाती है ऊँची ऊँची लहरें उठती है जो किनारों से टकराती है फिर वापस लौट जाती है मैं लहरों को न गिन सकता हूँ न समेट सकता हूँ उन्हें वापस समंदर में जाते सिर्फ देख सकता हूँ ( 4 ) जब वो उदास होती है क़यामत की रात होती है हवा रूक सी जाती है टहनियाँ झुक सी जाती है दर्द का स्पंदन होता है लबो पे कंपन होता है हम दर्द को सहला नही पाते छलके आसूँ दिखा नही पाते तब कोई नही पास होता है सिर्फ दर्द का एहसास होता है किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




2 Comments


verma.vkv
verma.vkv
Jul 30, 2022

वाह, बहुत सुंदर कविता।

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Unknown member
Jul 30, 2022

Very nice...

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