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कविता"कोई ग़ज़ल कहता है"

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • May 8, 2022
  • 1 min read

" कोई ग़ज़ल कहता है " मैं जब अपनी आँखे बंद करता हूँ खुद को उनके करीब पाता हूँ खो जाता हूँ उनके हसीन सपनो में जहाँ वो जाती है वहीं मैं जाता हूँ मन जब उन्हें पाकर बिभोर होता है और उनके रस से सराबोर होता है ज़िंदगी की फ़ांस सुलझ जाती है हर कदम जिंदगी की ओर होता है जब दुल्हन की तरह वो सॅवरती है मेरे मन मे घंटियाँ सी बजती है ये गेसुओं की महक, ये कायनात मुझे सब परी कथा सी लगती है मेरे होठों पे कुछ मचलने लगता है मेरे अंदर कोई उतरने लगता है सुनता हूँ किसी की फुस-फुसाहटें और कोई कहानी कहने लगता है जब चंचल मन कुछ शब्द गढ़ता है पन्नों पर किसी का अक्स उभरता है तब सृजन का चक्र पूरा होता है कोई उसे गीत, कोई गजल कहता है किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




4 Yorum


Bilinmeyen üye
09 Tem 2022

Very nice poem...

Beğen

sah47730
sah47730
09 May 2022

बहुत सुन्दर

Beğen

kumarinutan4392
kumarinutan4392
09 May 2022

Nice

Beğen

verma.vkv
verma.vkv
09 May 2022

वाह, बहुत सुंदर एहसास।

Beğen
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