
ज़िन्दगी में बस नेकी करते जाना
क्योंकि नेकी करना अच्छा होता है
क्या फर्क पड़ता है हमे इससे
कि किसी को यह क्या दिखता है
यहाँ जो कुछ भी है जमाने का है
फिर क्यो उन्हें अपना बताने का है
सब कुछ रह जायेंगे यही धरे के धरे
कुछ भी नही तेरे साथ जाने का है
वक़्त किसी का इंतज़ार नही करता है
यहाँ कोई किसी से प्यार नही करता है
ये ज़िन्दगी तो है पानी का बुलबुला
जो शख्श यहाँ जन्मा है जरूर मरता है
मोह माया के चक्कर मे क्यो पड़ता है
तू कयामत के आने से क्यो डरता है
खोल दो मुठ्ठी बिखर जाने दो सबकुछ
ले नही जा सकते तो जमा क्यो करता है
जब अंत समय आता है तो
यहाँ हर ब्यक्ति अकेला होता है
उसे तो पता भी नही होता कि
उसकी अर्थी में क्या होता है
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
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जीवन के कड़वे अनुभव ही
हमारी आंखें खोल देते हैं।
जीवन की सच्चाई-
पहले पता नहीं होता,
जब पता होता है तो-
हम मुट्ठी खोल देते हैं।
very nice.....
वाह, जीवन की सच्चाई से रू ब रू कराता यह कविता।