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कविता... " मजदूर दिवस "

Writer's picture: Kishori RamanKishori Raman

आज 1 मई है, मजदूर दिवस। इस अवसर पर प्रस्तुत है एक कविता जिसका शीर्षक है--

" मजदूर दिवस "


मजदूर दिवस सामंतवादी सत्ता से संघर्ष का प्रतीक है

यह हमारे सभी मजदूरों भाइयो के एकता की जीत है

कभी हारे कभी जीते पर उन्होंने हिम्मत नही हारी

इंकलाब-जिंदाबाद मजदूरों की कुर्बानीओं का गीत है

जब मेहनतकशों ने इंकलाब का नारा लगाया था सत्ताऔर सामंतों कोअपने संघर्षो से झुकाया था किसानों मजदूरोंकी ताकत तब सबनेपहचानीथी और समाजवाद का परचम दुनियां मेंलहराया था आजभी सत्ता मजदूरों केदर्द को नही समझती है वो तो बस मुट्ठी भर सामंतों की ही बातें करती है आज फिर समय का पहिया घूम रहा है उल्टा अपना हक माँगने वालो को देशद्रोही कहती है किसी के न मानने से ये इतिहास नही बदलता है इंकलाब के गर्भसे निकलाआग दिलो मेंजलता है आज मजदूर विरोधी लोग फिर झूठ फैला रहे है सत्ता केसहयोग से मज़दूरविरोधी कानून ला रहेहै सदियों के मेहनतके बाद हमनेजो मुकाम पाया है आज उसी हक़ और आजादीपर आफत आया है अब जागो मजदूरों जागो और एक हो जाओ आज मई दिवस संघर्ष करने का पैगाम लाया है किशोरी रमण



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3 Kommentare


Unknown member
09. Juli 2022

Bahut hi sundar....

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sah47730
sah47730
05. Mai 2022

सच्चाई को उजागर करती हुई इन्क्लाबी रचना।

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verma.vkv
verma.vkv
01. Mai 2022

वाह, बहुत सुंदर कविता।

मज़दूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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