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Writer's pictureKishori Raman

कविता "मेरी आशिकी नई नई है"

Updated: Aug 14, 2023

आज प्रस्तुत है एक पुरानी कविता, उन दिनों की जब हम भी जवां हुआ करते थे ख्वाबो के पंख लगा कर बेफिक्र उड़ा करते थे


"मेरी आशिकी नई नई है" मुखड़े पर शबनम की बूंदें पास खड़ी वो आंखें मूंदे शरमाती ज्यों छुई मुई हो पता नही वो किसको ढूढें यारों तुमको क्या बतलाऊं जहां भी देखूं उसे ही पाऊं रात ढली अब सुबह हुई है मेरी आशकी नई नई है सत रंगी सपनो के पीछे भाग रहा मैं आँखें मीचे मुझको तो कुछ पता नही कोई है जो मुझको खींचें ढूंढ रहा मन बना बाबला पता नही, क्या है मामला वो जो बोले वही सही है मेरी आशिकी नई नई है जिसके लबो पे मेरे गीत है कैसे कहूं वो मेरी मीत है सच झूठ का पता नही पर उनकी हँसी में मेरी जीत है उसको अब कैसे समझाऊं कैसे दिल का राज बताऊं जीवन में तो प्रश्न कई है मेरी आशिकी नई नई है किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com


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3 Σχόλια


Άγνωστο μέλος
02 Σεπ 2023

Very nice.

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sah47730
sah47730
02 Ιουλ 2023

यह रचना बुढ़ापे में भी जवानी भर देने वाली है। धन्यवाद!

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verma.vkv
verma.vkv
02 Ιουλ 2023

बहुत सुंदर ।

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