"हंगामा क्यों होता है ?"
आज गरीबों के लिए रोटी नही, घर नही है
अस्पताल में कोई दवा नही, बिस्तर नही है
यहाँ ऊँच-नीच और भेद भाव का बोलबाला है
अंधेरों में रहने वालों के लिए कहाँ उजाला है ?
सबका पेट भरनेवाले किसान भूखे पेट सोते है
औरों का घर बनाने वाले खुद बे-घर ही होते हैं
महान भारत को विश्व- गुरु बनाने का सपना
इन गरीबों के लिए तो बस फ़रेब ही होते हैं
आज कुछ लोग देशभक्ति की दुकान चलाते हैं
कौन देशभक्त है कौन देशद्रोही ये पता लगाते है
धर्म और देशभक्ति की है इनकी अपनी ब्याख्या
विरोध करने वालों को ये विदेशी एजेंट बताते हैं
अब लूटेरों के हाथों में अक्सर तिरंगा होता है
सोंच घृणित और ज़मीर उनका नंगा होता है
भेष बदलने में माहिर होते हैं ये बहुरूपिये
वे जहाँ भी जाते है वहीं पे खूनी दंगा होता है
हमारे सच बोलने पर आज हंगामा क्यो होता है?
आपसी चर्चा में टोपी और पजामा क्यो होता है?
यह कोई सोचीं समझी चाल है या सत्ता का गुरुर
बिना कानून-कचहरी के पंचनामा क्यो होता है?
किशोरी रमण
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Very nice👍....
आज की तस्वीर में
देश भक्ति का चोला है!
वाह, बहुत सुंदर कविता ।