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Writer's pictureKishori Raman

कविता " हार मान लूँ ?"


सवाल है कि क्या मैं हार मान लूँ अब जाना है यहाँ से यह जान लूँ ये उम्र तो बीत गयी उन्हें मनाने में क्याअंत समय मे उनसे रार ठान लूँ गुजरे जमाने को हम याद करते है कभी-कभी खुद से फरियाद करते है ज़िन्दगी भर रही शिकायत जिनसे उनकी परछाईयों से संवाद करते है जो कोई भी आपका खास होता है वही तो हरदम आपके पास होता है कहते है जिन्दगी एक खिलौना है क्यों टूटने से मन उदास होता है जो चला गया यहाँ से वह फिर आएगा? छुपा-छुपाई खेल रहा था ये बतलायेगा इसी आशा में यहाँ जी रहे हैं कई लोग क्या समय का पहिया उल्टा घूम पाएगा? किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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4 Comments


sah47730
sah47730
Sep 17, 2022

वाह! भावुकता के अंगूर दाने से निचोड़कर प्रस्तुत की गई यह रचना अतीत की गहराई के दर्द की अनुभूति कराती है। सुन्दर प्रस्तुति।

:--- मोहन "मधुर"

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Kishori Raman
Kishori Raman
Sep 18, 2022
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धन्यवाद।

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verma.vkv
verma.vkv
Sep 16, 2022

वाह, ज़िन्दगी से रूबरू कराता बहुत सुंदर कविता ।

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Unknown member
Sep 16, 2022

Bahut hi sundar....

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