Kishori Raman
कविता " हार मान लूँ ?"

सवाल है कि क्या मैं हार मान लूँ अब जाना है यहाँ से यह जान लूँ ये उम्र तो बीत गयी उन्हें मनाने में क्याअंत समय मे उनसे रार ठान लूँ गुजरे जमाने को हम याद करते है कभी-कभी खुद से फरियाद करते है ज़िन्दगी भर रही शिकायत जिनसे उनकी परछाईयों से संवाद करते है जो कोई भी आपका खास होता है वही तो हरदम आपके पास होता है कहते है जिन्दगी एक खिलौना है क्यों टूटने से मन उदास होता है जो चला गया यहाँ से वह फिर आएगा? छुपा-छुपाई खेल रहा था ये बतलायेगा इसी आशा में यहाँ जी रहे हैं कई लोग क्या समय का पहिया उल्टा घूम पाएगा? किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com