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कविता"ज़िन्दगी का सफर"

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Nov 15, 2022
  • 1 min read

पैसा, शोहरत और बड़ा सा घर पाने की बेचैनी और खोने का डर इन्ही से शुरू होती है ये ज़िन्दगी इन्ही पे खत्म होता है ये सफर बेशक हमारे स्कूल छूट जाते हैं पर परीक्षाएँ खत्म नही होती जितना भी मिल जाये इन्सान को उसकी इच्छाएँ कम नही होती आईने को हम नाहक दोष देते है वह तो केवल सच ही दिखाता है जब कभी हम मुस्कुराते हैं तभी आईना भी मुस्कुराता है लोगो को हवाओं पे शक होता है कि वे चिराग़ों को बुझाते हैं कोई जलने वाले से भी तो पूछे क्यों जल कर रौशनी फैलाते हैं यहाँ लोग बदलते हैं वक़्त की तरह रिश्ते टूटते हैं सूखे दरख़्त की तरह हँसने वाले तो फिर भी हँसते हैं ग़मो को पी जाते हैं शर्बत की तरह किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com


2 Comments


verma.vkv
verma.vkv
Nov 16, 2022

वाह वाह, बहुत सुंदर रचना।

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sah47730
sah47730
Nov 16, 2022

सुन्दर कविता

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