Kishori Raman
# कवि की अमानत #"
Updated: Nov 13, 2021

आज जब मैं अपने बीते दिनों को,अपनी डायरी के पन्नों में तलाश कर रहा था तो एक पुरानी कविता पर मेरी नज़र अटक सी गई। ये उस समय की कविता है जब जवान होता मन और सतरंगी सपनो ने ज़िन्दगी की रुहानियत को महसूस करना शुरू ही किया था। उसी कविता को (जो कविता मैंने कॉलेज मैगज़ीन के लिए लिखी थी।) मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसका शीर्षक है•••••
कवि की अमानत
प्यार भरी राहो में उनको भी पाकर
खुशियों के सारे ये दीपक जलाकर
कभी मुझको उनसे न शिक़वा रहेगी
अगर वे देखे जरा मुस्कुरा कर
लाखो गम जीवन मे परवाह नही
मर के भी मैं तो जिंदा रहूँगा
न तनहाई में उनकीआँखें भरआये
वरना मैं हरदम शर्मिन्दा रहूँगा
मैं भावुक मैं लिखता हूं नग़में मगर
मेरी जाने गजल और प्राण वही है
ये धड़कन ये चाहत है कुर्बान जिसपे
मेरा दीन वही और ईमान वही है
या खुदा तेरी मुझपे ये रहमत रहे
मेरी जाने वफ़ा बस सलामत रहे
टूटे न गीतों का ये सिलसिला
वो भावुक कवि की अमानत रहे
किशोरी रमण
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