कहाँ ढूंढूगा ?
- Kishori Raman
- Oct 26, 2024
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मेरे पास कल्पित परिकथा है
और कुछ नही है खोने के लिए
दुख तो है और ये रहेगा भी
ये कारण नही है रोने के लिए
जब दर्द ही मेरा अपना है
तब उसकी शिकायत क्यों करे
मैं खुश हूं अपनी जिन्दगी से
ज्यादा की ख्वाहिश क्यों करे
जिंदगी में भले कुछ पाया नही
मैने चेहरे को छुपाया नही
जो भी मिला उसी में खुश हूं
किसी का कुछ उठाया नही
मेरी यादें रही सलामत अगर
तेरा पता मैं उसी से पूंछूगा
अगर वो भी कर देगी बेवफाई
फिर मैं तुम्हे कहाँ ढूंढूगा ?
किशोरी रमण
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