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कहाँ  ढूंढूगा ?

Writer: Kishori RamanKishori Raman

मेरे  पास कल्पित  परिकथा है

और कुछ नही है खोने के लिए

दुख  तो  है और  ये  रहेगा भी

ये कारण  नही है रोने  के लिए


जब  दर्द   ही  मेरा अपना   है

तब उसकी शिकायत क्यों करे

मैं खुश  हूं  अपनी जिन्दगी से

ज्यादा की  ख्वाहिश  क्यों करे


जिंदगी में भले कुछ पाया नही

मैने   चेहरे   को  छुपाया  नही

जो भी  मिला उसी में  खुश हूं

किसी  का  कुछ  उठाया  नही


मेरी यादें  रही  सलामत  अगर

तेरा  पता  मैं  उसी  से  पूंछूगा

अगर वो भी कर देगी बेवफाई

फिर  मैं  तुम्हे   कहाँ  ढूंढूगा ?



किशोरी रमण



आप सब खुश रहें, स्वस्थ रहें और मस्त रहें

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