
एक बूढ़ा आदमी अपने घर के दरवाजे पर बैठा हुआ था। तभी वहां से एक घुड़सवार गुजरा। बूढ़े आदमी को देख कर वह घुड़सवार रुका और बूढ़े आदमी से पूछा, इस गांव के लोग कैसे हैं ? बूढ़ेआदमी ने पूछा, तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो ?
घुड़सवार बोला , जिस गांव से मैं आ रहा हूं वहां के लोग बड़े झगड़ालू और बदतमीज है। मुझे वह गांव छोड़ना पड़ा। अब मैं किसी नए गांव में बसना चाहता हूं, इसी लिए इस गांव के लोगो के बारे में जानना चाह रहा हूं।
बूढ़ा आदमी बोला, इस गांव के लोग भी दुष्ट और असभ्य हैं। अच्छा होगा तुम कही और जा कर बसो। वह घुड़सवार आगे बढ़ गया।
कुछ देर बाद वहां एक बैलगाड़ी आई । उसमे बैठे व्यक्ति ने घर के दरवाजे पर बैठे बूढ़े व्यक्ति से पूछा । दादा जी, इस गांव के लोग कैसे हैं ?
बूढ़े व्यक्ति ने उससे भी वही प्रश्न पूछा कि जिस गांव को छोड़कर आए हो उसके लोग कैसे थे ?
उस आदमी ने दुखी होकर कहा, मेरे गांव के लोग अच्छे थे। में तो उन्हे छोड़ना नहीं चाहता था पर आर्थिक कारणो से मुझे वह गांव छोड़ना पड़ा। मैं नए व्यवसाय की खोज में मजबूरी वश अपना गांव छोड़ कर आया हूं।
यह सुन कर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा, यहां सब अच्छे लोग रहते हैं। तुम आराम से यहां बस सकते हो। तुम इस गांव में अपने गांव से अधिक प्रेमपूर्ण लोगो को पाओगे।
एक दूसरा आदमी जो वहां बैठा यह सब देख सुन रहा था, बूढ़े व्यक्ति से कहा– आपकी बातें सुनकर मैं हैरान हूं। पहले आदमी को आपने बोला कि यह बुरे और असभ्य लोगो का गांव है, तुम आगे चले जाओ। फिर दूसरे से आप कह रहे है कि यह बहुत प्रेम से रहने वालों का गांव है, तुम यही रहो। तुम्हे कहीं और जाने की आवश्कता नही है। ऐसा क्यों ?
इसपर वह बूढ़ा व्यक्ति मुस्कुराया और बोला, मैं तो बस इंसान के बारे में बुनियादी सच बता रहा हूं। इंसान जहां कहीं भी चला जाय वह हमेशा स्वयं को ही पायेगा। लोग तो अपना आइना भर होते हैं। हर जगह लोग तो एक जैसे ही होते हैं, असली चीज तो आप स्वयं हैं।
किशोरी रमण
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बहुत ही सुंदर।
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