वाह रे दुनिया तुझे किस बात का ग़ुरूर है
तू लाख जतन कर ले तुझे जाना जरूर है
धरे रह जायेगें ये तेरे महल और चौबारे
वक़्त के आगे तो यहाँ हर कोई मज़बूर है
आज जो तेरेपास है कल किसीऔर का था
ये ज़िन्दगी तो है बस एक अंतहीन कथा ये धन,दौलत, ग़ुरूर सब यहीं रह जायेगें
बस बदल जायेगा तो केवल इनका पता
कुछ अजीब सा दस्तूर है इस जमाने का
यहाँ देखते नही, शौख रखते है दिखाने का
खुद तो समझ नहीं पाते अपनी ज़िन्दगी को
और दंभ भरते हैं दुनिया को समझाने का
आज तक तुम जिसे समझते रहे हो अपना
वह है नजरों का धोखा और हसीन सपना
ये रिश्ते-नाते कल किसी काम न आएगा
आँखे बंद होते ही इनका अर्थ बदल जायेगा
किशोरी रमण
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Very nice.....