मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा, क्या आपको भी गुस्सा आता है ?
पहले तो मुझे लगा कि यह क्या सवाल है ? गुस्सा तो सबको आता है। फिर मैंने सोंचा तो पाया कि आजकल हम सबको गुस्सा कुछ ज्यादा ही आने लगा है। इसके कारण कई बार तो एक दो घंटे नही बल्कि कई कई दिनों तक मुड़ खराब रहता है और इसके कारण सेहत पर भी खराब असर पड़ता है।
तब मुझे लगा कि यह बड़ा माक़ूल सबाल है और इस पर चर्चा भी होनी चाहिए, ताकि हम सब अपने क्रोध पर काबू रख सके और सुखी जीवन जी सकें।
आज चारो तरफ अजीब सा माहौल है। बात बात पर लोग गुस्सा हो जाते हैं। छोटी छोटी बातों को लेकर लोग एक दूसरे से उलझ जाते हैं। लगता है, हर आदमी में धैर्य की कमी है, हर आदमी अन्दर से उद्देलित है। वह केवल गुस्सा और मारपीट की भाषा ही जनता है। किसी के लिए गुस्सा अपनी हनक और बड़प्पन दिखाने का जरिया है तो किसी के लिए गुस्सा अपनी खामियों को छुपाने का तरीका।
पर कारण चाहे कुछ भी हो, गुस्सा चाहे जिस तरह का भी हो, ये दोधारी तलवार की तरह है। ये न सिर्फ सामने वाले को काटती है बल्कि गुस्सा करने वाले को भी घायल करती है।
अब जरा गुस्से पर चर्चा करते है।
हालांकि गुस्सा मानव स्वभाव की सामान्य सी प्रक्रिया है लेकिन अगर इस पर गहराई से सोंचा जाये तो यह एक जटिल मानवीय भावना है। इसके पीछे हमारी दबी हुई भावनायें या अनचाही मानसिक स्थितियां जैसे मन मे किसी अपराध बोध का होना, किसी हीन भावना का होना, किसी डर या उदासी या मानसिक तनाव का होना हो सकता है।
गुस्सा आने का कारण आंतरिक और बाहरी दोनो हो सकते हैं।
विज्ञान के अनुसार कुछ हारमोन ( गुस्सा दिलाने वाले ) के तेजी से सिक्रीशन होने के कारण लोगों में गुस्सा आता है। यह भी देखा जाता है कि वे लोग ज्यादा गुस्सा करते हैं जिनमें सहनशीलता की कमी होती है या जिनके साथ कुछ मनोवैज्ञानिक समस्या जुड़ी होती है।
अगर कभी कभी गुस्सा आये तो यह सामान्य सी बात है पर अगर तुरन्त तुरन्त गुस्सा आये और वह गुस्से में आक्रामक हो जाये, या कोई हमेशा गुस्से में ही रहे तो इसका मतलब है कि कहीं कुछ गडबड है और तब उसे सतर्क हो जाना चाहिए। उसे अपने गुस्से पर काबू पाने का प्रयास शरू कर देना चाहिए।
गुस्से की भावनाओं से निबटने के तीन तरीके हैं।
अपने गुस्से को अभिब्यक्त करना, दमन करना और शांत करना।
अपनी भावनाओं को आक्रामक से सकारात्मक बना कर अभिब्यक्त करना। यह गुस्से से निबटने का सबसे अच्छा और स्वस्थ तरीका है। उस परिस्थिति के बारे में सोचना जिसके कारण गुस्सा आया है। उस समस्या का समाधान तलाशना और गुस्से के कारण शरीर मे ऊर्जा के स्तर में जो बृद्धि हुई होती है उसे किसी और दिशा में मोड़ देना।
गुस्से से निबटने का एक तरीका है दमन का। यानी गुस्से का दमन करना, पर यह खतरनाक होता है। अगर गुस्सा बाहर नही आयेगा और हम उसका दमन करेंगें तो यह अन्दर ही अन्दर पलने लगता है। इसका स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे आदमी चिड़चिड़ा और नकारात्मक सोंच का हो जाता है।
आईये,अब जरा इस पर चर्चा करें कि गुस्सा आने पर तुरंत क्या करे। विशेषज्ञों ने कुछ उपाय सुझाये है जिसे यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।
1) जब भी गुस्सा आये तो अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए गहरी सांस लें।
2) ऐसा कोई शब्द जिससे शांति का अनुभव हो जैसे आल इज वेल, टेक इट इज्जी, रिलैक्स या कोई कविता या कोई मंत्र को दुहराये।
3) नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
4) गुस्सा का अनुभव होने पर खुले में टहले या दौड़ लगायें।
5) कुछ देर के लिए गुस्से वाली जगह से कुछ दूर चले जायें।
6) अपने काम से थोड़ी देर के लिए ब्रेक ले ले और शान्त बैठ जायें।
7) एक से दस तक पहले सीधे और फिर उल्टे गिने। इससे दिमाग को शान्त होने का मौका मिलता है।
8) इसके अलावा विशेषज्ञ तुरन्त पानी पीने, पानी को कुछ देर मुँह में रखने, सांस लेकर थोड़ी देर मुँह को फुलाये रखने को भी अच्छा मानते है।
गुस्से के करण शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की चर्चा करें तो हम पाते हैं कि इसके कारण
पाचन तंत्र की समस्या, इम्यून तंत्र का कमजोर हो जाना, मानसिक क्षमता का प्रभावित होना, एकाग्रता में कमी, हृदय की गति का तेज होना तथा कई गंभीर रोगों के खतरे का बढ़ जाना इत्यादि है।
आईये, हम सब अपने गुस्से पर काबू पाने का प्रयास आज से ही शूरू कर दें।
किशोरी रमण।
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments.
Please follow the blog on social media.link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
Very nice.
गुस्सा के कारण एवं निदान हेतु सुझाए गए उपायों बिल्कुल सही हैं। अति उत्तम प्रस्तुति।
सही है, हमें अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए, और सुझाए गए उपाय पर अमल करना चाहिए।