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Writer's pictureKishori Raman

क्रोध का सही उपयोग


क्रोध क्या है ? असल मे क्रोध और कुछ नही बस एक ऊर्जा है जो गलत जगह पर और गलत काम मे बर्बाद होता है। अगर हम इस ऊर्जा के स्वरूप को बदल कर इसका सही उपयोग करे तो चमत्कार हो जाएगा। असल मे हम देख नही पाते लेकिन क्रोध में हमारे अन्दर जबरदस्त ऊर्जा इकट्ठा होता है और यह ऊर्जा निकलना चाहता है। हम जल्दी से दूसरे इंसान को बता देना चाहते है वह गलत है और हम सही। पर हम इस तरह क्रोध के वशीभूत हो वाद -विवाद से दूसरे इंसान की नजरों में खुद को सही साबित नही कर सकते। हाँ, अगर आप अपने आप को दूसरों की नजरों में साबित करना चाहते है तो ठहरना सीखे। अगर आप ठहरना सिख गये तो आप अन्य लोगों से बिलकुल अलग हो जायेगें। आप कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले अपने अन्दर झाँक कर देखे कि आपके अन्दर चल क्या रहा है ? प्रतिक्रिया देने की जरूरत है भी की नहीं ? इस सम्बंध में भगवान बुद्ध और उनके एक शिष्य की कहानी प्रस्तुत है। बात उस समय की है जब बुद्ध के प्रवचन से हजारो लोग प्रभावित हो रहे थे। उनमें से ज्यादातर लोग युवा थे। बुद्ध को जो भी सुनता वो बौद्ध भिक्षु बनने की इच्छा प्रगट करता। इनमें से कुछ ही भिक्षु बन पाते , बाकी लोग किन्ही कारणों से नही बन पाते। एक बार एक युवा ब्यक्ति बुद्ध के विचार सुनता है तो प्रभावित होता है और भिक्षु बनने का फैसला लेता है। उस युवा ब्यक्ति के अन्दर क्रोध बहुत होता है और यह भी एक कारण होता है उसके भिक्षु बनने के पीछे। एक बार वह भिक्षु अन्य भिक्षुओं के साथ भिक्षाटन के लिये जाता है। गाँव मे पहुँचते ही वह भिक्षु अपने पास के घर के दरवाजे पर जाता है और आवाज लगाता है- भिक्षम देहि। भीतर से एक किसान बाहर निकलता है और एक युवा को भीख माँगते देख क्रोधित हो जाता है।वह युवा से कहता है " तुम तो भले चंगे हो, कमा कर खा सकते हो ,तुम्हे भीख माँगते शर्म नही आती ? वह युवा भिक्षु भी क्रोधित हो कर कहता है, मेरे घर मे किसी चीज की कमी नही है परन्तु मैं भिक्षु अपनी इच्छा से बना हूँ। तुम्हे अंदाज भी नही है कि मै कौन हूँ ? इस पर किसान बोलता है कि अभी तो तुम एक भिक्षुक हो और मुझसे भिक्षा की याचना कर रहे हो। युवा भिक्षु क्रोधित हो कर भिक्षाटन छोड़ वापस बुद्ध के पास लौट जाता है और भगवान बुद्ध से कहता है कि कृपया आप मेरे साथ चले। एक किसान ने मेरा अपमान किया है। आप अभी चलिए और उसे बताये कि भिक्षु का क्या अर्थ होता है। हम भिक्षु केवल पेट भरने के लिए भिक्षा नही माँगते बल्कि इसके बदले उन्हें ज्ञान भी देते हैं। बुद्ध कहते है कि तुम इतना क्रोधित क्यों हो रहे हो ? अगर किसी ने तुम्हारा अपमान किया भी तो उसे भूला दो। जब तुम उस ब्यक्ति को भुला दोगे तो अपमान कहाँ रह जायेगा ? इस पर भिक्षु ने कहा उस किसान ने एक भिक्षु को अपशब्द कहें है अतः उसे सबक सिखाना ही चाहिए, आप शीघ्र मेरे साथ चलिए। बुद्ध ने कहा जब तुम इतनी जिद कर रहे तो चलूँगा लेकिन हम कल सबेरे चलेंगे। वह ब्यक्ति बुद्ध की बात टाल नही पाता और वहाँ से चला जाता है। अगले दिन सबेरे बुद्ध उस ब्यक्ति से पूछते है ,आज उस ब्यक्ति के घर चलना है न जिसने कल तुम्हारा अपमान किया था ? तब वह ब्यक्ति कहता है कि बुद्ध , अब उस व्यक्ति के घर जाने की कोई आवश्कता नही क्योकि मैंने उस पर विचार किया। मुझे लगता है कि कहीं न कहीँ गलती मेरी भी थी। उस ब्यक्ति ने जो भी कहा वह उसकी समझ थी परन्तु मुझे क्रोधित नही होना चाहिये था। इसलिए अब वहाँ जाने की कोई जरूरत नही है।

अब सवाल उठता है कि ये सब हुआ कैसे ? हुआ यूँ कि कुछ देर ठहरने और शान्ति से सोचने पर उस भिक्षु

का नज़रिया ही बदल गया। किशोरी रमण। BE HAPPY.....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE। If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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2 commenti


Membro sconosciuto
08 feb 2022

bahut hi sundar......

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verma.vkv
verma.vkv
09 ott 2021

क्रोध को वश में करने के बहुत सुंदर उपाय।

क्रोध बहुत समस्याओं का जड़ है ।

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