एक बार की बात है कि एक इंसान गौतम बुद्ध पर बहुत ज्यादा क्रोधित हो जाता है। उसे गौतम बुद्ध पर इतना गुस्सा आ रहा होता है कि उसे खुद भी पता नहीं होता है कि वह आज क्या कर देगा। उसके गुस्से का कारण होता है कि उसके तीन बेटे गौतम बुद्ध के शरण में आ चुके होते है। गौतम बुद्ध के शिष्य बनने के बाद उसके तीनों बेटे अपना सारा समय योग ध्यान और उपदेश में निकाल देते हैं। उस इंसान को चिंता होती है कि उसके बाद उसका व्यापार संभालेगा कौन ? दिन-रात की मेहनत करके उसने अपने व्यापार को खड़ा किया है। आखिर उसके बाद इसे कौन बढ़ायेगा ? इस बात को सोचकर वह इतना ज्यादा क्रोधित हो जाता है कि वह चला जाता है गौतम बुद्ध के दरबार में। जब वह दरबार में पहुँचता है तो उसकी नजर पड़ती है गौतम बुद्ध पर। बुद्ध का सादगी भरा चेहरा देखकर उसका आधा गुस्सा तो वहीं समाप्त हो जाता है। पर वह तो घर से यह सोच कर आया था कि वह कुछ ना कुछ तो करेगा। आज वह गौतम बुद्ध को सबक सिखा कर ही रहेगा। तो वह चला जाता है गौतम बुद्ध के सामने पर गौतम बुद्ध तो ध्यान मग्न होते हैं। उनकी आंखें तो बंद होती है इसलिए वह सामने जाकर खड़ा हो जाता है।
अब उसे अंदर से गुस्सा आ रहा होता है, पर उसे समझ में नहीं आ रहा होता है कि वह क्या करें ? जब उसे समझ में नहीं आया कि वह करे तो क्या करे तो उसने गौतम बुद्ध के ऊपर थूक दिया। जब वह गौतम बुद्ध के ऊपर थूक देता है तो गौतम बुद्ध के आसपास खड़े लोग आग बबूला हो जाते हैं कि हमारे गुरु के ऊपर थूक दिया। कौन है ये आदमी ? इसकी इतनी हिम्मत ? अब गौतम बुद्ध धीरे धीरे अपनी आंखें खोल देते है पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट होती है। अब वह इंसान देखता है गौतम बुद्ध का मुस्कुराता हुआ चेहरा। अब वह इंसान इंतजार कर रहा होता है कि गौतम बुद्ध कुछ बोलेंगे। पर गौतम बुद्ध तो कुछ भी नहीं बोलते, और उनके शिष्यों की क्या मजाल कि गौतम बुद्ध के सामने किसी पर गुस्सा कर सके। अब वह इंसान बहुत देर तक खड़ा खड़ा यह सोच रहा होता है कि कोई तो कुछ बोलेगा पर कोई कुछ नहीं बोलता।और गौतम बुद्ध भी उसकी तरफ देख कर शांति से मुस्कुराते रहते हैं। जब कोई कुछ नहीं बोलता तो वह गुस्से में वहाँ से अपने घर वापस आ जाता है। घर आने के बाद भी उसके दिमाग मे बुद्ध का मुस्कुराता चेहरा ही याद आता रहता है। जब रात होती है तो उसे नींद नहीं आती है। अब वह सोचता है कि आज मैंने एक बड़ा अपराध कर दिया है। वह तो एक महात्मा है और मैंने एक महात्मा के चेहरे पर थूक दिया है। वह सोचता है कि कल सुबह होते ही मैं उनके दरबार में जाऊंगा और उनके पैरों में गिर कर माफी मांग लूँगा। अपने अपराध बोध के कारण वह पूरी रात सो नहीं पाता है। अगली सुबह होते ही निकल पड़ता है उस स्थान तक जाने के लिए जहाँ कल उसने गौतम बुद्ध के मुँह पर थूका था।
वहाँ जाकर देखता है कि वहाँ न तो गौतम बुद्ध है और न ही उनके शिष्य। वह पूछते पूछते वहाँ पहुँचता है जहाँ बुद्ध और उनके शिष्यों का दरबार लगा था। जब वह गौतम बुद्ध के चरणों में गिर कर माफी मांगता है तो गौतम बुद्ध दोबारा अपनी आंखें खोलते हैं। और जो अब गौतम बुद्ध बोलते हैं उसे सुनकर सारे शिष्य हैरान रह जाते हैं। जब वह इंसान बोलता है कि मुझसे बड़ा अपराध हो गया है मुझे माफ कर दीजिए। मुझे जिंदगी भर इस बात का पछतावा रहेगा तो इस पर बुद्ध बोलते हैं कि अरे भाई मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकता। इस पर वह इंसान सोचता है कि क्या मैंने इतना बड़ा अपराध कर दिया कि अब यह महात्मा भी मुझे माफ नहीं कर सकते। और अब इससे उनके शिष्य भी हैरान हो जाते हैं कि गौतम बुद्ध ने अपनी पूरी जिंदगी में कभी गुस्सा नहीं किया। उन्होंने कभी भी किसी को गलत नहीं बोला और हमेशा सबको माफ कर दिया चाहें उन्होंने कितनी भी बड़ी गलती की हो। पर इस इंसान के लिए बुद्ध बोल रहे हैं कि मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकता। अब उनका एक प्रिय शिष्य आनंद पूछ लेता है कि, भन्ते आपने आज तक सब के अपराधों को क्षमा किया है तो इसे भी माफ कर दीजिए। इसे अपनी गलती पर पछतावा है।
तब बुद्ध बोले कि इसे कैसे माफ कर सकता हूँ ? जब इसने कोई गलती की ही नहीं तो किस बात की माफी ? अब वह इंसान बोलता है कि प्रभु, मैं कल आया था आप के दरबार में जब आप ध्यान कर रहे थे। और मैंने ही गुस्से में आपके मुहँ पर थूक दिया था। इस पर बुद्ध बोलते हैं कि भाई, फिलहाल तो मुझे वह इंसान दिख नहीं रहा है। जब वह इंसान मुझे दिखेगा तो मैं बोल दूंगा कि कोई आया था माफी मांगने तुम्हारे लिए। अब वह इंसान हैरान हो जाता है कि मैंने इतनी बड़ी गलती की और गौतम बुद्ध बोल रहे हैं कि मैंने कोई गलती नहीं की। फिर गौतम बुद्ध बोलते हैं कि आज जो इंसान मेरे पास आया है उसने कुछ भी गलत नहीं किया है। जो इंसान गलत किया था वह अब जा चुका है। जब वह इंसान मुझे मिलेगा तो बोल दूँगा कि कोई इंसान आया था तुम्हारे लिए माफी मांगने।
अब वह इंसान इतना हैरान रह जाता है यह सोच कर कि जब गौतम बुद्ध ने उसे माफ किया तो उसे उसकी गलती का एहसास भी नहीं करवाया। क्या हम भी अपनी जिंदगी में लोगों को इस तरह से माफ करते हैं ? बिल्कुल नहीं। जब हम किसी को माफ करते हैं तो बोलते हैं कि, जा तुझे माफ किया। हम एहसान दिखाते हैं। अगर हम माफ करना सीखे तो सीखे गौतम बुद्ध से। अगर हम सामने वाले को बार-बार यह एहसास कराते हैं कि तुमने कुछ गलत किया है और मैंने तुझे माफ कर दिया है। इस तरह हम न केवल सामने वाले को परेशान कर रहे होते हैं बल्कि अपने दिमाग में भी उसकी गलतियों को बार-बार दुहरा रहे होते हैं। इस तरह से शब्दों में शायद उसे माफ कर देते हैं लेकिन हम अपने दिमाग में उसे इतनी बार दुहरा रहे होते हैं कि हमारे अंदर यह बैठ चुका होता है और हम उस इंसान को दिल से कभी भी माफ नहीं कर पाते। हम सबको अपने दिमाग को शान्त और खाली रखना चाहिए। अगर हम अपने दिमाग को नकारात्मकता से भर लेंगे तो हमारी पूरी जिंदगी नकारात्मक हो जाएगी। और तब हमारी जिंदगी में ख़ुशियाँ नहीं आ सकती। खुशी लाने का एक ही तरीका है कि दिमाग को शान्त और खाली रखें और लोगों को माफ करें।
किशोरी रमण
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Bahut hi Sundar...
Very nice....
प्रेरणादायक कहानी।