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गुदरी के लाल "भारत रत्न लाल बहादुर शस्त्री"

Writer's picture: Kishori RamanKishori Raman

आज, अपनी सादगी और सरलता के लिए विख्यात, गुदरी के लाल, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत-रत्न श्री(स्वर्गीय) लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन है। इस अवसर पर उनको शत-शत नमन। देश की आजादी के लिए उनके संघर्ष, देश की रक्षा के लिए उनके दृढ संकल्प और राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान को यह कृतज्ञ राष्ट्र हमेशा याद रखेगा। शास्त्री जी महान व्यक्तित्व के स्वामी थे। उनका जीवन आदर्शों से भरा हुआ था। वे एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। अपना सारा जीवन पहले स्वतंत्रता संग्राम में और बाद में पहले रेल मंत्री और बाद में प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा में अर्पित कर दिया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके माता का नाम स्वर्गीय राम दुलारी तथा पिता का नाम स्वर्गीय शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था। वे जब 18 महीने के थे तो उनके सर से पिता का साया उठ गया और उनका लालन पोषण ननिहाल मिर्जापुर में हुआ। विकट आर्थिक परिस्थिति में भी इन्होंने संघर्ष करके अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने संस्कृत में स्नातक की उपाधि ली और उनके नाम के आगे शास्त्री उपाधि जुट गया। स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी के कारण कई बार उन्हें जेल जाना पड़ा। नेहरू जी के कार्यकाल में वे रेल मंत्री थे। एक रेल दुर्घटना की जिम्मेवारी लेते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नेहरू जी के निधन के बाद वह प्रधानमंत्री बने। तभी एक तरफ पाकिस्तान ने हमारे देश पर आक्रमण किया और दूसरी तरफ देश में अन्न संकट के कारण भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई। इन दोनों मुसीबतों का सामना उन्होंने सफलतापूर्वक किया। एक तरफ उन्होंने पाकिस्तान को धूल चटाई और विश्व में भारत का नाम रौशन किया तो दूसरी तरफ अन्न संकट से निपटने के लिए उन्होंने कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए। साथ ही तात्कालिक उपाय के रूप में उन्होंने सप्ताह में एक दिन उपवास रखना शुरू किया ताकि खाद्य-संकट से निपटा जा सके। उनका अनुसरण सारे देश की जनता ने किया और इस तरह देश ने खाद्यान्न संकट का सामना किया। उन्होंने ही जय जवान जय किसान का नारा दिया क्योंकि उनका मानना था कि देश की रक्षा जहाँ जवानों के हाथ मे है वही देश के किसान ही हम सबके अन्नदाता है। दोनों के सहयोग से ही ये देश सुरक्षित रहेगा। अपने छोटे से कार्यकाल में शास्त्री जी ने भारत को विश्व पटल पर एक गौरवपूर्ण स्थान दिलाया। 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता पर हस्ताक्षर करने के उपरांत हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गई। 1966 में ही इन्हें भारत रत्न से नवाजा गया। यहाँ प्रस्तुत है उनके कुछ अनमोल वचन। 1) अनुशासन और एकता ही देश की ताकत होती है। 2) लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज्य कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता। 3) हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है लोगों में एकता स्थापित करना। 4) हम सिर्फ खुद के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व की शांति विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं। 5) कोई व्यक्ति यदि हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना होगा। 6) देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने की बजाय गरीबी बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा। 7) आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी है जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोजगारी से लड़ सकें। 8) जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं।अंततः जनता ही मुखिया होती है। 9) मैं हमेशा दूसरों को ऐसी सलाह देने में असहज महसूस करता हूँ जिस पर मैं खुद अमल नहीं कर सकता। 10) देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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2 komentarze


Nieznany użytkownik
02 paź 2022

Very nice...

Polub

verma.vkv
verma.vkv
02 paź 2022

लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं।

Polub
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