नानक नाम जहाज है
चढ़े सो उतरे पार
जो श्रद्धा कर सेंवदे
गुरु पार उतारणहार
गुरु नानक जी कहते है " एक ओमकारा , एक सतनाम "
यानी ईश्वर एक है, वो निराकार है। परमात्मा का अपना कोई रूप नही होता बल्कि संसार मे दिखने वाले सभी भगवान के ही स्वरूप हैं।
वे अपने अंदर ही ईश्वर को देखने का उपदेश देते हैं।वे मेहनत करने और बांट कर खाने की बात भी करते हैं।
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का आज जन्म- दिन है जिसे हम गुरुपर्व औऱ प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं। उनका जन्म कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को ननकाना साहिब में हुआ था। जिस समय उनका जन्म हुआ ,भारत सामाजिक और आध्यात्मिक संक्रमण के दौर से गुजर रहा था। अशांति, हिंसा और आपसी भेद-भाव से समाज खंडित हो रहा था और लोग आपस मे लड़ रहे थे।
तब नानक साहब का इस धरती पर आगमन हुआ और उन्होंने न केवल भारत मे सत्य प्रेम का संदेश दिया बल्कि पूरे विश्व मे साम्प्रदायिक एकता, सच्चाई, शान्ति और सद्भावना के संदेशों को फैलाया। वे महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने छुआछूत, अंधविश्वास तथा पाखण्ड का जोरदार खंडन किया और सबको परोपकार, मानव प्रेम, व सहयोग का महत्व समझाया
उन्होंने अपने उपदेशो में इस बात पर जोर दिया कि सभी धर्मों का एक समान आधार है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़े पैगम्बर तो वे हैं जो भूखों को खाना खिलाते हैं, बीमार का उपचार करते हैं और पापियों को क्षमा करते हैं।
गुरु नानकदेव जी ने 28 सालो में ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए 28 हजार किलोमीटर की यात्रा की और 60 से ज्यादा शहरों का भर्मण किया। इसी क्रम में उन्होंने मक्का, मदीना की भी यात्रा की।
गुरु नानकदेव का एक शिष्य मरदाना जो मुस्लिम था ने बताया कि वो मक्का जाना चाहता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब तक एक मुसलमान मक्का नहीं जाता तब तक वह सच्चा मुसलमान नहीं कहलाता है। गुरु नानक ने यह बात सुनी तो मरदाना के साथ मक्का के लिए निकल पड़े। गुरु नानक जी जब मक्का पहुंचे तो वे काफी थके हुए थे। वह हाजियों के लिए बनवाए गए एक सराय में ठहरे। सराय के खादिम ने जब यह देखा कि एक आदमी मक्का की तरफ पैर करके लेटा हुआ है तो वह गुस्सा हो गया। उसने गुरुनानक जी को भला बुरा कहते हुए बोला- तुम्हें दिखता नहीं है कि तुम खुदा की तरफ पैर रखकर लेटे हुए हो। गुरु नानक ने कहा-भाई, मैं तो बहुत थका हुआ हूं। अपना पैर भी नहीं घुमा सकता। अब तो तुम ही मेरे पैर को उस तरफ घुमा दो जिधर खुदा ना हो।
उस खिदमतगार को गुरु नानक जी की बात समझ में आ गई कि खुदा केवल एक दिशा में नहीं है बल्कि हर दिशा में, हर जगह है। इसके बाद उस खिदमतगार ने यह समझ लिया कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है बल्कि बहुत ही पहुँचे हुए महात्मा या फकीर हैं। उन्होंने यह बात अपने आसपास के लोगों को बताई। वहाँ गुरु नानक जी को देखने और सुनने के लिए भीड़ इकट्ठी हो गई । गुरु नानक देव ने उपस्थित लोगों से कहा कि अच्छे कर्म करो और खुदा को याद करो यही सच्चा सदका है।
आईये हमसब उनकी शिक्षाओं को अपनी जिंदगी में उतारे औऱ प्रेम, सादगी, शांति , भाईचारे और धार्मिक सदभाव का अनुकरण करें।
आज गुरु नानक जी के जयंती पर उनको शत शत नमन।
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments.
Please follow the blog on social media.link are on contact us page.
Bahut hi Sundar...
Very nice.....