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#गौतम बुद्ध और नन्ही गिलहरी#

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Dec 28, 2021
  • 2 min read

गौतम बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के लिए घोर तप में लगे हुए थे। उन्होंने अपने शरीर को काफी कष्ट दिया। यात्राएं की। घने जंगलों में कठोर साधना की। पर उन्हें अभी तक ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई थी। एक दिन बुद्ध बैठे बैठे सोचने लगे कि अभी तक मैंने कुछ भी प्राप्त नही किया है। अब आगे क्या होगा ? निराशा और नकारात्मक विचारों ने उन्हें सुस्त कर दिया। फिर उन्हें प्यास लगी। वे चलकर कुछ दूर पर अवस्थित एक झील के पास पहुँचे। वहां उन्होंने देखा कि एक नन्ही सी गिलहरी के दो बच्चे झील में डूब गए हैं। पहले तो गिलहरी जड़वत बैठी रही। फिर वह झील के पास गई औऱ अपना सारा शरीर झील के पानी में भिगोया, और फिर वह बाहर आकर शरीर से पानी झाड़ने लगी। वह यह क्रिया बार-बार दुहराने लगी। बुद्ध ने सोचा कि इस गिलहरी का प्रयास कितना मूर्खतापूर्ण है ? क्या यह गिलहरी कभी इस झील को सुखा सकेगी ? लेकिन गिलहरी का यह प्रयास लगातार जारी था। बुद्ध को लगा कि यह गिलहरी मानो कह रही है कि ये झील खाली होगी या नहीं, यह मैं नहीं जानती, फिर भी मैं अपना प्रयास नही छोडूंगी | अंततः उस छोटी सी गिलहरी ने बुद्ध को लक्ष्य के मार्ग से भटकने से बचा लिया। बुद्ध सोचने लगे कि जब यह नन्ही गिलहरी अपने लघु सामर्थ से झील को सुखा देने के लिए दृढ संकल्पित है तो मुझमे क्या कमी है ? मैं तो उससे हजार गुना अधिक क्षमता रखता हूँ। यह सोचकर गौतम बुद्ध पुनः अपनी साधना में लग गए और एक दिन उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE

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4 opmerkingen


kumarinutan4392
kumarinutan4392
30 dec 2021

Bahut hi Sundar...

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sah47730
sah47730
29 dec 2021

वाह ! लगनशीलता का सुन्दर उदाहरण एवं महात्मा बुद्ध का प्रेरक प्रसंग।

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verma.vkv
verma.vkv
29 dec 2021

बहुत ही उत्तम कहानी।

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Onbekend lid
29 dec 2021

Bahut hi Sundar kahani hai.....

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