ये चीन की एक लोककथा है। बहुत पुरानी बात है। एक राजा अपने मंत्री से किसी बात पर नाराज हो गया। उसने उस मंत्री को फांसी की सजा सुना दी। सारे राज्य में सनसनी फ़ैल गई। चुकी राजा जिद्दी था अतः सबने ये मान लिया कि मंत्री को तो अब फांसी हो कर ही रहेगी।
पर यह क्या ? जिसने भी देखा आश्चर्य चकित रह गया। मंत्री एक शानदार घोड़े पर चढ़ कर अपने घर वापस आ गया था।
पत्नी, बेटे को भरोसा नहीं हुआ। उन्होंने पूछा, ये चमत्कार कैसे हुआ ?
मंत्री ने कहा, इसे चमत्कार ही समझो। राज्य का ये नियम है कि फांसी के घंटा भर पहले राजा कैदी से मिलने आते हैं, सो महाराज मुझसे भी मिलने आए। मैंने सोचा, फांसी से बचने के लिए एक आखरी दाव लगाना बुरा नही। मैं उन्हे देख कर फफक फफक कर रोने लगा। राजा ने मुझे रोते देख कहा, तुम तो एक बहादुर आदमी हो, तुमने अनेको युद्ध लड़े हैं। तुम भी बिलाप करोगे ऐसा तो मैं सोच भी नही सकता।
मैने कहा, मैं मौत को सामने देख कर नही रो रहा
हूं। मैं तो आपके घोड़े को देख कर रो रहा हूं जो आप बाहर बांध आए हैं।
राजा चौक कर बोला, क्यों ? मेरे घोड़े को क्या हुआ ?
इसपर मंत्री ने कहा, मैने एक कला सीखी थी। मैं घोड़े को आकाश में उड़ना सीखा सकता हूं। लेकिन इसके लिए एक खास नस्ल का घोड़ा चाहिए। जिन्दगी भर उस नस्ल के घोड़े को खोजता रहा पर वह नही मिला। जिस घोड़े पर बैठ कर आप अभी आए है यह उसी नस्ल का घोड़ा है। रो इस लिए रहा हूं कि मेरी सारी कला व्यर्थ जायेगी। घंटे भर बाद मुझे मरना है। मेरे मरने के साथ ही ये कला खो जायेगी।
राजा का लोभ जाग गया। उसने सोचा कि अगर उसके पास उड़ने वाला घोड़ा हो तो सारी दुनियां में उसका नाम हो जायेगा। कोई भी युद्ध में उसका मुकाबला नहीं कर पाएगा। उसने मंत्री से पूछा, तुम कितना समय चाहते हो इस घोड़े को उड़ना सिखाने के लिए ?
मंत्री ने कहा, बस एक साल में मैं इसे उड़ना सीखा दूंगा।
राजा ने कहा, अगर एक साल में घोड़ा उड़ना सिख गया तो तुम्हारी जान तो बचेगी ही, इसके अलावा मैं तुम्हे मुंहमांगा इनाम भी दूंगा। लेकिन अगर एक साल बाद भी घोड़ा उड़ना नही सीख पाया तो तुम्हारी फांसी पक्की।
इतना सुनने के बाद मंत्री की पत्नी छाती पीट पीट कर रोने लगी कि यह तुमने क्या किया ? मुझे भली भांति पता है कि तुम ऐसी कोई कला नही जानते।
मंत्री ने कहा कि वह तो मुझे भी पता है लेकिन साल भर में कुछ भी हो सकता है। घोड़ा मर जाय, राजा मर जाय या मैं मर जाऊं। या कौन जाने, घोड़ा वाकई उड़ना सीख जाय। साल भर बहुत लंबा वक्त है और दुनियां में चमत्कार तो होते रहते हैं।
इस कहानी का सार ये है कि अगर थोड़ा धीरज हो तो कुछ भी संभव हो सकता है। यह आशावादिता और दृढ़ भरोसा हवाओं का रुख बदल सकता है। वर्तमान का आनन्द लें और खतरो से खेलें। मंत्री ने कहा कि एक साल मिला है, उसको जी लें और घोड़ा न भी उड़े मगर राजा का मन तो बदल ही सकता है।
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments.
Please follow the blog on social media.link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
Very nice.
वाह, बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद कहानी।