( जयन्ती पर विशेष)
आज 24 जनवरी है, जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की जयन्ती। इस शुभ अवसर पर उनको शत-शत नमन।
वे न सिर्फ भारत के स्वतंत्रता-संग्राम के प्रमुख योद्धा थे बल्कि दलितों पिछड़ों और गरीबों के सामाजिक न्याय की लड़ाई के प्रमुख नायक भी थे। वे सादगी और ईमानदारी के मिशाल थे जो सत्ता के उच्च शिखर पर पहुँच कर भी मोह माया से अनासक्त बने रहे। उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था। उन्होंने निजी और सार्वजनिक जीवन दोनों में आचरण के उच्च मानदंड स्थापित किए। अपमान का घूँट पीकर भी बदलाव की इबारत लिखी। उनके ही प्रयास से बिहार में दलितों, पिछड़ों और वंचितों को हक और न्याय मिला और वे न सिर्फ राजनीति बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ सके। आज उनकी जयन्ती के अवसर पर उनके जीवन से संबंधित तीन रोचक घटनाओं का यहाँ उल्लेख करना चाहता हूँ ताकि हम उनकी सादगी, ईमानदारी एवं अपने समाज के लिए किये गये उनके संघर्षों को समझ सके।
घटना - एक- सन 1952 में कर्पूरी ठाकुर जी पहली बार विधायक बने थे। उन्हीं दिनों उनका ऑस्ट्रिया जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में चयन हुआ था। उनके पास पहनने को कोट नहीं था तो एक दोस्त से कोट मागां गया। कोट फटा हुआ था। खैर, कर्पूरी ठाकुर जी वही कोट पहन कर चले गए। वहाँ युगोस्लाविया के मुखिया मार्शल टीटो ने देखा कि कर्पूरी जी का कोट फटा हुआ है तो उन्हें नया कोट गिफ्ट किया गया। आज जब राजनेता अपने महँगे कपड़ों और दिन में कई बार ड्रेस बदलने को लेकर चर्चा में आते रहते हैं तो ऐसे किस्से अविश्वसनीय लग सकते हैं।
घटना- दो- एक बार प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी उनके गाँव गये तो वहाँ उनके घर का दरवाजा इतना छोटा था कि चौधरी जी के सिर में चोट लग गई। तब चरण सिंह ने कहा- कर्पूरी, अपने घर को जरा ठीक करवाओ और दरवाजे को ऊंचा करवाओ। इस पर कर्पूरी जी ने कहा - जब तक बिहार के गरीबों का घर नहीं बन जाता केवल मेरा घर बन जाने से क्या होगा ?
घटना - तीन - यशवंत सिन्हा जी जो उनके प्रधान सचिव थे एक संस्मरण का उल्लेख करते है जिसके बारे में खुद कर्पूरी ठाकुर जी ने उन्हें बताया था। जब कर्पूरी जी ने मैट्रिक की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की थी तो उनके पिता जो नाई का काम करते थे काफी खुश हुए थे। वे अपने बेटे को लेकर गाँव के एक समृद्ध एवं उच्च जाति के ब्यक्ति के पास गए थे एवं उसे बताया था कि सरकार, मेरा बेटा मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन से पास किया है। उस आदमी ने अपनी टांगे टेबल के ऊपर रखते हुए कहा था , अच्छा..ठीक है। चलो पहले मेरा पैर दबाओ। आगे चल कर तुम्हें तो हम लोगों का दाढ़ी बाल बनाना है और पैर दबाना है।
अंत में मैं कर्पूरी ठाकुर जी को नमन करते हुए आप सभी से यह अपील करना चाहता हूँ कि आज उनकी जयन्ती पर हम सब संकल्प लें कि उनके बताए रास्ते पर चलेंगे और उनके शोषण एवं भेदभाव मुक्त समाज की स्थापना के सपनों को साकार करेंगे।
किशोरी रमण
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Bahut hi sundar.
कर्पूरी ठाकुर जी को जन्मदिन पर हार्दिक अभिनन्दन।