यह जनवरी 2008 का वाकया है और उस समय मैं जम्मू मेन ब्रांच का चीफ मैनेजर था। हमारी शाखा रघुनाथ मंदिर से कुछ दूर शालामार रोड पर कर्ण भवन के ग्राउंड फ्लोर पर था। दूसरी और तीसरी मंजिल पर जीवन बीमा का कार्यालय था तथा ऊपर अंतिम मंजिल पर डॉ कर्ण सिंह का कार्यालय था। कर्ण सिंह जम्मू काश्मीर के अंतिम राजा हरि सिंह के पुत्र हैं । कर्ण भवन के बगल में डोगरा राजबंश के संस्थापक गुलाब सिंह के नाम पर गुलाब भवन था जिसमे जम्मू कश्मीर बैंक की मुख्य शाखा थी। हमारी शाखा के बगल से ही जम्मू का सेक्रेटरिएट, राज भवन, मुख्यमंत्री एवं अन्य गणमान्य लोगों का कार्यकाल शुरू होता था अतः पुलिस का बैरिकेडिंग हमारी शाखा के सामने ही लगता था और ठंड ( विंटर सीजन ) में जब राजधानी जम्मू में रहता था तो हमलोगों को भी कई सिक्योरिटी चेकिंग से गुजरना पड़ता था। बैरिकेड के बाद आगे बढ़ने पर बायीं तरफ सेक्रेटेरिएट था तो दाई तरफ थोड़ा आगे बढ़ने पर बहुत बड़ा ग्राउंड था जिसे परेड ग्राउंड कहते थे क्योंकि झंडोतोलन एवं अन्य सरकारी समारोह वही होते थे। श्रीनगर की तुलना में जम्मू शान्त इलाका था पर चुकि बीच बीच मे कुछ घटनाएं यहाँ भी घट जाती थी इसी लिए सुरक्षा की पुख्ता ब्यवस्था होती थी। सड़क पर हर तीन वाहनों में एक वाहन सुरक्षा बलों की नजर आती थी। 25 जनवरी को अंचल कार्यालय जालंधर से सहायक महाप्रबंधक श्रवण कुमार का फोन आया और उन्होंने पूछ दिया कि कल झंडा फहरा रहे हैं न ? जब मैंने कहा कि यहाँ तो बैंक वाले झंडा फहराते ही नही है औऱ उस दिन सारे शहर में कर्फ्यू लग जाता है, गाड़ी एवं आवागमन के साधन बंद हो जाते है इस पर उन्होंने हँसते हुए कहा, ये सब झूठ है और जानबूझ कर फैलाया जाता है ताकि लोग घर मे आराम से छुट्टी मना सके। मैं खुद इसके पहले जहाँ भी रहा हूँ झंडा फहराता रहा हूँ इसीलिए करीब एक सप्ताह पहले ही इस सम्बन्ध में अपने स्टाफ से इस पर चर्चा कर चुका था। सभी कर्मचारियों ने एक राय से ये कहा था कि साहब जी क्यो पंगा लेते हो ? अगर कहीं बम फट गया या गोली ओली चल गई तो कौन जिमेदार होगा ? फिर उस दिन तो जब तक परेड ग्राउंड में झंडा फहर नही जाता सिक्योरिटी वाले इस इलाके में किसी वाहन को आने नही देते हैं। हमारे ज्यदातर स्टाफ तवी नदी के पार (नई जम्मू) रहते है। तवी नदी के पुल को आम लोगो के लिए पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। इसतरह सभी ने उस दिन झंडोतोलन के लिए शाखा में आने से साफ मना कर दिया था। हालाँकि मैं जानता था कि मामले को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है ताकी उस दिन किसी को शाखा में नहीं आना पड़े। पर ये भी सही था कि अगल बगल में बहुत सारे बैंक और सरकारी कार्यालय थे पर कहीं भी झंडा नही फहराया जाता था। हालांकि आजकल शान्ति थी लेकिन कभी बगल के सेंट्रल बैंक के गेट पर बम फटा था जिसमे बैंक बाले औऱ आम लोग भी मारे गए थे। जब भी मैं सुबह अपने शाखा के चैम्बर में घुसता था तो कोई न कोई खुफिया बिभाग (CID ,RAW) का आदमी मेरे पास आता और अपना आई कार्ड दिखा कर सूचित करता कि वह यहाँ पर स्पेशल मिशन पर है और कोई गार्ड या स्टाफ टोके नही कि मैं यहाँ क्यो बैठा हूँ। तो इस तरह से सिक्योरिटी को लेकर मैं भी तनाव में रहता था। लेकिन जब सहायक महाप्रबंधक श्रवण कुमार ने पूछ लिया कि क्या तुम हिंदुस्तानी नही हो तो मुझे बड़ा खराब लगा और 25 जनवरी को निर्णय ले लिया कि मैं 26 जनवरी को झंडा फहराउंगा। मैंने पी टी ई स्टाफ को झंडा, रस्सी, बांस या लोहे का पोल की ब्यवस्था करने को कहा ।शाम तक लोहे का पोल जिसके एक छोर पर एक घरारी वेल्डिंग कर के फिट किया गया था ,रस्सी तथा झंडा लेकर पी टी ई (विक्की) आ गया। एक गार्ड जो पुरानी जम्मू ( बैंक के पास) का था ने ये जिम्मेदारी ली कि वह कल सुबह फूल लेकर साढ़े आठ बजे तक यहाँ आ जायेगा। कैंटीन वाले को मैंने सौ रुपए दिए कि कल के लिए मिठाई और चाय की ब्यवस्था करना है। अब एक समस्या ये आई की झंडा फहराने के लिए पहले से कोई ब्यवस्था नही किया गया था और सारा फ़र्श कंक्रीट का बना था। तब विक्की ने उपाय निकाला कि कल वह एक लोहे का ड्रम लाएगा जिसमे बालू भरकर लोहे के पोल को खड़ा कर देगा। दूसरे दिन जब मैं 8:30 बजे शाखा में पहुंचा तो वहां कोई उपस्थित नहीं था। चुकी झंडा फहराने का समय 9:30 बजे का था (परेड ग्राउंड में सरकारी आयोजन 9 बजे का था) अतः मै थोड़ा चिंतित हो उठा तभी देखा कि विक्की ड्रम लेकर आ रहा है। वह ड्रम रखकर बालू लाने के लिए चला गया | कुछ ही देर बाद वह उदास चेहरा लिए वापस लौटा और बोला, साहब जी, कल मैंने 2 बोरी में बालू भरकर एक दुकान के सामने रखा था | आज सुबह पुलिस वाले उसको उठाकर ले चले गए, और इस समय बालू की व्यवस्था करना मुश्किल है। तभी हमारा कैंटीन वाला बोला मेरे किचन में सात आठ ईंटे है मैं उन्हें ले आता हूं और हम लोग पोल को उसी के सहारे खड़ा करेंगे । इस तरह से ईट के सहारे पोल खड़ा हो गया | गार्ड साहब फूल लेकर आ गए थे लेकिन उन्हें झंडे को बांधना नहीं आता था । वह डॉ कर्ण सिंह के ऑफिस में गए और एक स्टाफ को जो झंडा बांधना जानता था उसको बुला कर ले आये और हम लोग का झंडा तैयार हो गया । डॉक्टर कर्ण सिंह के ऑफिस के स्टाफ जो झंडा बांधने आया था उससे मैंने पूछा कि आपके कितने स्टाफ आये हैं ? तो उसने कहा "चार"। मैंने उनसे आग्रह किया कि वह लोग हम लोग के साथ झंडा फहराने में शामिल हो जाएं और फिर बाद में हम लोग भी उनके झंडोत्तोलन में शामिल होंगे। इस तरह हम लोग कुल 8 लोग हो गए। तभी मैंने देखा कि हमारा एक क्लर्क जो कि कश्मीरी पंडित था वह भी पहुँच गया है। इस तरह हम लोग कुल 9 आदमी हो गए । हम लोग झंडा फहराने ही वाले थे कि पता नहीं कहां से कुछ टीवी वाले और मीडिया वाले लोग जो परेड ग्राउंड का सरकारी आयोजन कवर कर आ रहे थे और हम लोगो को झंडा फहराते देखा तो भीतर आ गये और हमलोगों का फोटो खींचने लगे। मैंने तो शान से अपना चेहरा सामने किया कि फोटो बढ़िया आ सके। पर मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि और लोग अपने चेहरे को इधर-उधर कर रहे थे ताकि उनका चेहरा साफ ना आ सके। मेरे शाखा के क्लर्क ने तो अब अपने चेहरे पर रुमाल बांध लिया था । फोटो खींचने के बाद टीवी वाले बाइट के लिए हम लोगों के पास आए तो हमारे क्लर्क ने तो कैमरे पर कुछ बोलने से साफ मना कर दिया पर मैंने इत्मीनान से बाइट दिया । मैंने कहा कि 15 अगस्त और 26 जनवरी हमारे राष्ट्रीय पर्व है और इस दिन हमें राष्ट्रध्वज अवश्य फहराना चाहिए । इसके बाद हम लोगों ने राष्ट्रध्वज फहराया और राष्ट्रगान शुरू किया । क्योंकि मुझे मालूम था कि राष्ट्रगान भी मुझे ही गाना होगा अतः मैंने पहले से ही राष्ट्रगान गाने की तैयारी अच्छे से की थी कि कहीं राष्ट्रगान गाने में गलती ना हो ।
राष्ट्रगान खत्म होने पर हमारे एक गार्ड ने नारा लगाया भारत माता की जय और जय की आवाज न सिर्फ हम लोगों ने बोला बल्कि गेट के बाहर से सड़क पर खड़े सुरक्षाकर्मियों ने भी जय कारा में साथ दिया । हम लोगों ने आश्चर्य से देखा कि गेट पर करीब सात आठ सुरक्षाकर्मी खड़े थे जिनकी ड्यूटी सामने वाले बैरिकेड पर लगी थी । राष्ट्रगान के दौरान वे सब भी बैंक के गेट पर लाइन में खड़े हो गए थे और हम लोग के साथ ही राष्ट्रगान गा रहे थे तथा उनके हाथ झण्डे को सलामी दे रहे थे। मैंने उन सबों को गेट के अंदर बुलाया और उनसबो का शुक्रिया अदा किया।कैंटीन वाले को बोला , सबको मिठाई खिलाओ। वे सब सी आर पी एफ के जवान थे । उनके ग्रुप लीडर ने कहा -साहब जी हम लोग को बाहर कुछ भी नहीं खाना होता है लेकिन आप लोग के जज्बे को देखकर हम लोग बहुत खुश हुए हैं और आप लोग को अपने हाथों से मिठाई खिलाना चाहते है। उन्होंने हमारे कैन्टीन वाले के हाथ से मिठाई का डब्बा लिया और अपने हाथ से मुझे और वहाँ उपस्थित अन्य लोगो को मिठाई खिलाया।
और इस तरह से हमने 26 जनवरी को जम्मू के केनरा बैंक में तिरंगा फहराया।
किशोरी रमण
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Very nice....
वाह, देशभक्ति की अच्छी मिशाल ।
मनुष्य को अपनी ईमानदार कोशिश,सकारात्मक सोच,हिम्मत और उत्साहपूर्ण प्रयास के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है समय खुद बखुद साथ देने लग जाता है।
प्रशंसनीय वाकया।
:-- मोहन"मधुर"
Bahut hi Sundar.......