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जयंती  " जननायक कर्पूरी ठाकुर "

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Jan 23, 2024
  • 2 min read

   


आज  जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की जयन्ती है। 24 जनवरी सन 1924 ईस्वी को समस्तीपुर के पितौंझिया गांव ( अब कर्पूरी ग्राम) में उनका जन्म हुआ था। उनकी जयंती के  इस शुभ अवसर पर उन्हें कोटि कोटि प्रणाम।

कौन हैं कर्पूरी ठाकुर ? अगर संक्षेप में बताना हो तो हम कह सकते हैं कि  हिंदुस्तान के करोड़ों शोषितों के हक के लिए, लाखों निरीह, नंगे बच्चों की कमीज और स्लेट के लिए, बेसहारा किसानों की कुदाल और जमीन के लिए, फुस के बूढ़े मकानों पर उम्मीद की छप्पर के लिए , गांधी, लोहिया और बाबा साहब अंबेडकर के सफेद हो चुके सपनो को नया रंग देने के लिए संघर्ष करने वाले का नाम था कर्पूरी ठाकुर।


वे न सिर्फ देश के स्वतंत्रता-संग्राम के प्रमुख योद्धा थे बल्कि दलितों पिछड़ों और गरीबों के सामाजिक न्याय की लड़ाई के प्रमुख नायक भी थे। वे सादगी और ईमानदारी के मिशाल थे जो सत्ता के उच्च शिखर पर पहुँच कर भी मोह माया से अनासक्त बने रहे। उनकी कथनी और करनी में फर्क नहीं था। उन्होंने निजी और सार्वजनिक जीवन दोनों में आचरण के उच्च मानदंड स्थापित किए। अपमान का घूँट पीकर भी बदलाव की इबारत लिखी। उनके ही प्रयास से बिहार में दलितों, पिछड़ों और वंचितों को हक और न्याय मिला और वे न सिर्फ राजनीति बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ सके। आज  उनकी जयन्ती के अवसर पर  उनके जीवन से संबंधित एक रोचक घटना का यहाँ उल्लेख करना चाहता हूँ ताकि हम  उनके संघर्षों को समझ सकें।


यशवंत सिन्हा जी जो उनके प्रधान सचिव थे एक संस्मरण का उल्लेख करते है जिसके बारे में खुद कर्पूरी ठाकुर जी ने उन्हें बताया था।

जब कर्पूरी जी ने मैट्रिक की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की थी तो उनके पिता  जो नाई का काम करते थे  काफी खुश हुए थे। चुकी कर्पूरी जी आगे भी  पढ़ना चाहते थे और वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे अतः कुछ मदद की उम्मीद में  अपने बेटे को लेकर गाँव के एक समृद्ध एवं उच्च जाति के ब्यक्ति के पास गए थे। उसे बताया था कि सरकार, मेरा बेटा मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन से पास किया है।  उस आदमी ने कर्पूरी जी की ओर देखा। उसके चेहरे पे कुटिल मुस्कान आ गई। उसने अपनी टांगे टेबल के ऊपर रखते हुए कहा था , अच्छा..ठीक है।  चलो पहले मेरा पैर दबाओ। आगे चल कर तुम्हें तो हम लोगों का दाढ़ी बाल बनाना है और पैर दबाना है तो क्यों न इसकी शुरुआत आज से ही हो जाए। कर्पूरी जी की मैट्रिक पास करने की खुशी कफूर हो गई। बाल मन अपमान और पीड़ा से कराह उठा। उसी समय उन्होंने ये प्राण लिया कि जातिगत शोषण और भेदभाव के खिलाफ वे आजीवन संघर्ष करेंगे।


वर्तमान समय की सियासत जब संक्रमण काल से गुजर रही है तो कर्पूरी जी के विचार और दर्शन अपने आप में बहुत प्रसांगिक हो जाते हैं। आइए  आज उनकी जयन्ती के अवसर पर हम सब संकल्प लें कि उनके बताए हुए रास्ते पर चलेंगे और उनके शोषण एवं भेदभाव मुक्त समाज की स्थापना के सपनों को साकार करेंगे।



किशोरी रमण



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3 Comments


Unknown member
Apr 11, 2024

Sat sat naman🙏

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Unknown member
Apr 11, 2024

Sat sat naman 🙏

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Sursen Roy
Sursen Roy
Jan 24, 2024

गरीबों, पिछड़ों, दलितों के महानायक जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जन्मशती के अवसर पर कोटि कोटि नमन। जननायक अमर रहें। 🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻

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