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Writer's pictureKishori Raman

जिन्दगी समझना

ज़िंदगी  में कभी हार कर देखो

किसी से आंखे चार कर  देखो

जीने का अंदाज बदल जाएगा

तुम किसीसे प्यार कर के देखो


जिन्दगी किताबों से नही चलती

जुबान ही सब कुछ नही कहती

बहते आसुओं की भाषा समझो

बिना  मतलब के वो नही बहती


बिना कहे  सब  समझ जाते हैं

और बुरे वक्त में काम आते हैं

प्यार दोस्ती  कुछ भी नाम  दो

मन  का मीत वही कहलाते हैं


जो रिश्तों को ब्यापार बनाते है

कुछ  देकर एहसान जताते  हैं

उनसे दूर रहना  ही  बेहतर है

जो  खुद  को  महान  बताते है


तुम तन को नही मन को देखना

अहम का  चश्मा उतार फेंकना

प्रेम की इबारत तब पढ़ पाओगे

इसे पूजा और जिन्दगी समझना



किशोरी रमण




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