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  • Writer's pictureKishori Raman

# जीवन का मूल्य #


एक बार एक व्यक्ति बुद्ध के पास आया और पूछा कि मुझे जीवन क्यो मिला है ? इतनी बड़ी दुनिया मे मेरी कीमत क्या है ? मुझे कोई नही चाहता। मुझे घर वाले भी नहीं चाहते क्योंकि मैं कोई काम नही करता हूँ, क्योंकि मुझे कोई काम नही आता है। सभी लोग मेरी निन्दा करते है और धरती का बोझ बताते हैं। इन्ही सब बातों से दुखी होकर मैं आत्महत्या करने हेतू घर से निकला था। यह सोंच कर की जब मेरे जीवन की कोई कीमत ही नही है और न ही मुझे कोई चाहता है तो मैं जी कर क्या करू ? तभी लोगो ने मुझे आपके बारे में बताया कि आप मेरी समस्या का समाधान कर देंगे तो मैं आपके पास आया हूँ। बुद्ध मुझे बताये कि मेरी कीमत क्या है ? क्या मुझे आत्माहत्या कर लेनी चाहिए ? बुद्ध पहले तो मुस्कुराए फिर उन्होंने उस व्यक्ति को एक चमकीला पत्थर दिया। फिर कहा कि जाओ तुम इस चमकीले पत्थर का मूल्य पता करके आओ और मुझे बताओ कि यह पत्थर कितना मूल्यवान है। पर ध्यान रहे कि तुम्हें इसे बेचना नहीं है, सिर्फ इसका मूल्य पता करना है। वह व्यक्ति उस चमकीले पत्थर को लेकर बाजार में पहुँचा। सबसे पहले उसे एक आम बेचने वाला मिला। उसने उस पत्थर को आम वाले को दिखाते हुए पूछा, इसकी कीमत क्या होगी ? आम वाले ने पत्थर को देखा। उसकी चमक से समझ गया कि यह पत्थर कीमती हैं, पर उसने बनावटी आवाज में बोला, यह पत्थर तो कोई खास नहीं है फिर भी इसके बदले मैं तुम्हे दस आम दे सकता हूँ। वह आदमी आगे बढ़ गया।आगे बढ़ा तो एक सब्जी वाला मिला। उसने सब्जी वाले से उस पत्थर की कीमत पूछी। उस सब्जी वाले ने कहा, मैं इस पत्थर के बदले में तुम्हें एक बोरी आलू दे सकता हूँ। वह आदमी वहाँ से भी आगे बढ़ गया। उसने सोंचा, आम वाला इसके बदले केवल दस आम दे रहा था लेकिन सब्जीवाला उसी पत्थर के एक बोरी आलू दे रहा था। जरूर ही यह पत्थर कीमती है। अतः इसे किसी जौहरी को दिखाना चाहिए। वह उस पत्थर को लेकर एक जौहरी की दुकान पर पहुँचा, और उसकी कीमत पूछी। जौहरी उस पत्थर को देखते ही समझ गया कि यह कीमती पत्थर रूबी है जो किस्मत वाले को ही मिलता है। उसने कहा- पत्थर मुझे दे दो और इसके बदले में तुम्हे एक लाख सोने के सिक्के दूँगा। उस आदमी को अब तक पत्थर की कीमत का अंदाजा हो गया था। वह वहाँ से वापस बुद्ध के पास जाने के लिए मुड़ा तभी वह जौहरी बोला -अरे भाई रुको तो जरा। मैं इसके बदले तुम्हें पचास लाख स्वर्ण मुद्राएं दे सकता हूँ। पर वह व्यक्ति नहीं रुका। वो जौहरी किसी भी कीमत पर उस पत्थर को खरीदना चाहता था। वह दौड़ कर उस व्यक्ति के सामने आ गया फिर हाथ जोड़कर बोला, तुम मुझे यह पत्थर दे दो। मैं तुम्हें इसके बदले एक करोड़ सोने के सिक्के देने को तैयार हूँ। वह व्यक्ति जौहरी से पीछा छुड़ाने के लिए तेज कदमों से आगे बढ़ने लगा तो पीछे से जोहरी ने आवाज लगाई- यह पत्थर अनमोल है। तुम जितने भी सिक्के कहोगे वह मैं तुम्हें दे दूँगा। यह सुनकर वह व्यक्ति हैरान परेशान हो गया। वह बुद्ध के पास पहुंचा और उन्हें वह पत्थर लौटते हुए उन्हें सारी बातें बतायी। बुद्ध मुस्कुराए और बोले। आम वाले ने इसकी कीमत दस आम लगाई। आलू वाले ने अपने हिसाब से इसकी कीमत एक बोरी आलू लगाई। लेकिन जौहरी जो इस पत्थर को पहचानता था उसने बताया कि यह पत्थर अनमोल है। इस पत्थर के मोल जिसने जितना समझा उसने उतना ही इसका मूल्य लगाया। ऐसा ही यह जीवन के साथ भी है। हर आदमी यहां हीरे के समान है। दुनिया उसे जितना पहचानती है उसे उतनी ही महत्ता देती है। लेकिन हीरे और आदमी में एक फर्क है। वह यह कि हीरे को कोई दूसरा तराशता है लेकिन आदमी को अपने आप को ही तराशना होता है। तुम भी किसी हीरो से कम नहीं हो। लेकिन तुमने अभी तक न तो अपने को तराशा है और न ही अपने को पहचाना है। तुम अपना जीवन यूँ ही बर्बाद कर रहे हो। तुम एक हीरे हो जिसे तुम अगर तराश लोगे तो उसकी महत्ता को सभी लोग समझेंगे और तुम भी इस दुनिया में अपनी कीमत जान पाओगे। जब तक तुम अपने आप को नहीं तराशोगे तब तक तुम एक पत्थर के समान रहोगे। सबसे पहले तो तुम अपने अंदर से यह बात निकाल दो कि तुम दुनिया पर बोझ हो। कोई इंसान किसी पर बोझ नहीं होता है सिर्फ अपने आप को पहचानना होता है कि हम कौन हैं ? और कैसे अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं ? इसके लिए हमें खुद ही मेहनत करनी होगी। कोई दूसरा हमें न निखार सकता है और न सुधार सकता है। केवल हम ही हैं जो अपने आप को सुधार सकते हैं और निखार भी सकते हैं। वह व्यक्ति अपनी कीमत समझ चुका था। उसने बुद्ध के चरणों में गिरकर प्रणाम किया और अपने निवास स्थान को लौट गया। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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