कविता
टूटे दिलो की तड़पन है और जमाने भर की पीड़ा या फिर कल्पनाओं और खुशियों का खुला आकाश जहाँ न हँसने का कोई समय होता है और न उड़ने की कोई सीमा ।
पैसा
ये रिश्ते नाते सब झूठ है सब एक जैसा सच है अगर तो केवल एक पैसा महत्वकाक्षाएं
महत्वकाक्षाएं
जब पूरी नही होती
तो बुरी हो जाती है
अच्छी होती है तब
जब वे पूरी हो जाती है।
किशोरी रमण
very nice.....
वाह, बहुत सुंदर और भावपूर्ण कविता ।