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" दयावान कौन ? "

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Oct 12, 2022
  • 2 min read

गौतम बुद्ध और उनके शिष्यगण रात्रि विश्राम हेतू एक सुनसान और निर्जन स्थान में डेरा डाले हुए थे। चंद्रमा की चांदनी में हर वस्तु स्पष्ट दिखाई दे रही थी। तभी एक शिष्य ने गौतम बुद्ध से एक कथा सुनाने का आग्रह किया। बुद्ध अपने शिष्य की बात टाल ना सके। उन्होंने कथा सुनाना शुरू किया। एक गाँव में मेला लगा हुआ था। वहीं पर एक छोटा सा कुआँ था, जिसमें एक व्यक्ति गलती से गिर गया था। वह कुऍं से चिल्ला रहा था-मुझे बचाओ,मुझे बचाओ। पर मेले में इतना शोर-गुल था कि कोई उसकी आवाज सुन नहीं पा रहा था। सब लोग अपने काम धंधे में लगे हुए थे। शाम हो गई। लोग जल्दी में थे। इतने में एक समाज- सेवी युवक कुऍं के पास आकर बैठा। उसे अंदर से किसी आदमी की आवाज सुनाई दी। वह बोला-चुप रहो, पहले मुझे यह सोचने दो कि यह बिना दीवार का कुआँ किसने बनवाया ? जरूर यह काम इस मेले के अधिकारी का होगा। मैं उस मेला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करवाऊंगा। यह कहते हुए वह मेला अधिकारी को ढूंढने चल दिया। इतने में एक सन्यासी वहाँ आकर बैठा। तभी कुएँ के अंदर से आदमी चिल्लाया- मुझे बचाओ। सन्यासी बोला- भाई, पिछले जन्म में तुमने कुछ कुकर्म किए होंगे जिसका फल भोग रहे हो। अपना अपना फल सभी को भोगना पड़ता है। इसमें कुछ नहीं किया जा सकता। उस आदमी ने कहा, यह सब आप मुझे बाद में समझा देना पर अभी तो मुझे कुएँ से बाहर निकालो। वह सन्यासी बोला- देखो मैं तो कर्म त्याग चुका हूँ। गाँव के लोगों से मैं कहूँगा कि वे तुम्हारी कुछ मदद कर दे। और यह कहते हुए वह भी वहाँ से चल दिया। इतने में एक थका हारा किसान वहाँ पहुँचा। उसने सोचा, मैं कुऍं से पानी निकाल कर अपनी प्यास बुझा लूँ। इतने में कुऍं के अंदर से आवाज आई- मुझे निकालो, मुझे बचाओ। उस किसान ने कुएँ के अन्दर झाँक कर देखा कि एक आदमी कुऍं में गिर गया है। किसान बोला,भाई ठहरो मैं देखता हूँ। वहाँ एक रस्सी पड़ी थी जो कमजोर थीं। उसने सोंचा, ये रस्सी तो टूट जाएगी। कुछ सोचकर उसने अपनी धोती खोली और उसे रस्सी के साथ बांध दिया। उसकी सहायता से वह आदमी कुएँ से बाहर आ गया और किसान के पैर पकड़ लिए। उसने कहा- भाई तू ही सच्चा धार्मिक है, सही मायने में समाज सुधारक है। तुम्हारे पहले के दो लोगों ने तो मेरी एक भी नहीं सुनी। किसान बोला, भैया मैं तो धार्मिक और समाज सुधारक क्या होता है, कुछ जानता ही नहीं। पर यह जरूर जानता हूँ कि जो दूसरों की फिक्र करता है, दुसरो पर दया करता है वही अच्छा और दयावान आदमी होता है। गौतम बुद्ध ने कहानी समाप्त कर अपने शिष्यों की तरफ देखा। सभी शिष्य उनके कहानी के मर्म और शिक्षा को समझ चुके थे। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




2 commenti


verma.vkv
verma.vkv
13 ott 2022

वाह, बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद कहानी।

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Membro sconosciuto
13 ott 2022

Bahut hi sundar story....

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