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Writer's pictureKishori Raman

दर्पण सा दिल

Updated: Aug 24, 2021




दो शब्द अपनी कविता के बारे में ।


बचपन या किशोरावस्था का प्यार बड़ा पवित्र और भोला भाला होता है। न कोई छल-कपट, न कुछ पाने की आशा और न ही कुछ खोने का भय । बस मन करता है कि अपना सबकुछ किसी पर न्योछावर कर दूँ।


पर ज्यो ज्यो उम्र बढ़ता है तो बचपन का भोलापन कहीं पीछे छूट जाता है और मन मे आने लगता है कुछ पाने की इच्छा, किसी से कुछ छीन लेने का खुराफाती विचार।


मन के इन्ही सब भाव एवम बिचारो को अपनी कविता के माध्यम से अभिब्यक्त करने का प्रयास किया है।

दर्पण सा दिल उनकी हाथों कीमेहंदी का लाल रंगजब छूट गया मेराभोला दर्पण सा दिल हाय चटक करटूट गया

प्यार हमारा रेशम -रेशम भाव हमारे केसर चंदन सृष्टि की ये कोमलताये जिनका हम करते है बंदन निर्मल मन और चंचल बातें कहाँ नजाने छूट गया मेरा भोलादर्पण सा दिल हाय चटक कर टूट गया

पलको में खुशियो का खजाना कदमो में सिमटा है जमाना सागर की लहरों पे चमके इन्द्रधनुष सा प्यार सुहाना बात बात पे प्यार जताना जब से उनका छूट गया मेरा भोलादर्पण सा दिल हाय चटक कर टूट गया

महके ज्यो हो रात की रानी छलके ज्यो आंखों में पानी उनकी जुल्फों के साये की छाव लगे जानी पहचानी छुई मुई बन के शर्माना जब से उनका छूट गया मेरा भोलादर्पण सा दिल हाय चटक कर टूट गया

उम्र बढ़ी क्या बात हो गयी जीवन बस खुराफात हो गयी बचपन की सब मीठी बातें यादो की सौगात हो गयी उनकीआँखों से बचपन का ख्वाब सुहाना छूट गया मेरा भोला दर्पण सा दिल हाय चटक कर टूट गया

किशोरी रमण

138 views5 comments

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5 Comments


Unknown member
Feb 09, 2022

very nice...

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shakilakhtar186
Aug 25, 2021

Very near to the truth and heart.

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Ram Mehar Singla
Ram Mehar Singla
Aug 24, 2021

Very nice gazal.

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Ram Mehar Singla
Ram Mehar Singla
Aug 24, 2021

Very nice. Kishori g you are simply great.

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verma.vkv
verma.vkv
Aug 23, 2021

वाह, बहुत सुंदर कविता ।

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