
अक्सर ही यह चर्चा का विषय होता है कि दुख क्या है ? सुख क्या है ? आज आप जिससे भी बात कीजिये वह अपने दुखों का रोना रोने लगता है। उसे लगता है कि दुनिया के सारे दुख तकलीफ उसी की जिंदगी में है। असल मे हमने सुख की परिभाषा गढ़ रखी हैऔर उससे परे हर चीज को हम दुख की संज्ञा देते है। हम सबसे ज्यादा दुखी किसी अपने प्रियजन की मृत्यु पर होते हैं , जबकि जीवन और मरण तो इस संसार का सास्वत सत्य है। जो इस संसार मे पैदा हुआ है उसकी मृत्यु निश्वित है , फिर मृत्यु से डरना या इसके लिए शोक मनाना कहाँ तक उचित है ? यह भी बिडम्बना ही है कि हम आनंद की खोज में दुखो को भूल जाते हैं और दुख के रास्ते पर चलते हैं और आनंद की कामना करते हैं | यहाँ मैं जीवन और मृत्यु से सम्बंधित तथागत बुद्ध के एक प्रसंग का जिक्र करना चाहूंगा। एक गाँव मे एक बिधवा औरत का एकलौता जवान बेटा मर गया । वह औरत अपने बेटे के मृत शरीर के पास बैठ कर करुण-बिलाप करने लगी। तभी उसे गांव वालों ने बताया कि बगीचे में तथागत बुद्ध अपने शिष्यों के साथ पधारे हैं। सुनकर बिधवा औरत के मन मे आशा का संचार हुआ। वो दौड़ी दौड़ी तथागत के पास पहुंची और उनके चरणों मे गिर गईं। उसने तथागत से अपने मृत पुत्र को जीवित करने का आग्रह किया। तथागत ने उसे जीवन ,मरण और सदगति के बारे में समझाने का प्रयास किया पर वह एक ही बात कह रही थी कि मेरे पुत्र को जिंदा कर दीजिए। अंत मे तथागत उसके घर पहुंचे । आँगन में उसके मृत पुत्र को देख कर कहा, मुझे एक मुट्ठी मिट्टी चाहिये ।बिधवा औरत मिट्टी लाने को चली तभी तथागत ने कहा, याद रहे मिट्टी किसी वैसे घर के आंगन से ली जानी चाहिए जिस घर मे आज तक किसी की मृत्यु नही हुई हो। उस बिधवा औरत को मिट्टी खोजते सुबह से शाम हो गई । उसे ऐसा कोई घर नही मिला जहाँ किसी की मृत्यु नहीं हुई हो। अंत मे वह थक हार कर वापस लौट आई और तथागत के चरणों मे गिर गई। उसे तथागत का उपदेश समझ मेआ गया था कि मृत्यु तो सत्य है सास्वत सत्य। जो इस दुनिया मे आया है उसे तो जाना ही है फिर जाने का गम क्यो ? किशोरी रमण
Bahut hi Sundar...
मृत्यु जीवन का कड़वा सत्य है। फिर भी हम इसे स्वीकार नहीं पाते। संसार की हर वस्तु,जीव यहां तक कि यह संसार या सृष्टि का भी विनाश और पुनर्निर्माण होता रहता है।
अमर है तो सिर्फ आत्मा और आत्माओं का केन्द्र बिन्दु परमात्मा! जिनसे हम सब जुड़े हैं। जो इस सृष्टि के रचयिता और विनाशकर्त्ता दोनों हैं।
:-- मोहन"
Rahi manma dukh ki chinta Kyo satati hai dukh to apana Sathi hai..............
जीवन की सच्चाई से रु ब रु कराता मार्मिक कहानी । बहुत सुंदर रचना ।
Dukh and Sukh always come in life. We should remain balanced in both situations.