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हमारे पास जो है उसको भूल कर जो नही है उसकी तलाश में हम भटकते रहते हैं, जबकि सच्चाई यही है कि किसी को सब कुछ नही मिलता बल्कि कुछ न कुछ कमी जिंदगी में रहती ही है। तो क्यों न हम जिंदगी में बहुत कुछ न पाने के दर्द को, कुछ पाने की खुशी में डुबो दे और अपने वर्तमान को हँसी ख़ुशी जीये। इन्ही सब विचारों पर आधारित है आज की यह कविता जिसका शीर्षक है .….. देखो न यूँ तो जिंदगी और मौत का विरोधाभास कुछ हद तक सही है पर आज न जाने क्यों जिंदगी जीने की ललक थोड़ी बढ़ गई है यह सच है कि मुझे सच के हारने का डर लगता है पर आज अगर सच हार भी जाये तो भी मैं खुशी मनाऊंगा ही देखिए हवाओं का सन्देश सिर्फ मेरे लिए कि तुम भाग्यशाली हो बहुत कुछ है तेरे दामन में पर तुम्हे भ्रम है कि तुम खाली हो देखो न। किशोरी रमण
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very nice....
वाह , सही कहा है कि जो मेरे पास है उसे छोड़ कर हम दूसरे चीज़ की तलाश में भटकते रहते है और वही हमारे दुख का कारण भी है । कविता बहुत अच्छी है ।