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कविता - # धर्म की बात #

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Dec 12, 2021
  • 1 min read

भाई तुम आज किस धर्म की बात कर रहे हो किसलिए औरो को मार कर खुद भी मर रहे हो क्या वह जो दीवारों पर सटे पोस्टरों पर लिखा है या वहजो खून बन सड़कोऔर गलियोंमें बिछा है वहजो टूटेघरों और झोपड़ियों में खुद भी जला है

क्यो हर इंसान केचेहरे पर ख़ौफ़ का जलजला है

ये धर्म नही, धर्म तो इन्सानो के दिलो में बसता है धर्म तो दोस्ती और भाईचारे केफूलों से सजता है धर्म प्यारकी भाषा सिखलाती है नफरत की नहीं धर्म के साज से प्यार का मधुर धुन निकलता है आओ हम धर्मकी कद्र करे और नेक इन्सान बने धर्म इंसानियत के इस्तकबाल को बुलंद करता है किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com

4 comentarios


Miembro desconocido
20 dic 2021

Very nice....

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sah47730
sah47730
14 dic 2021

बिल्कुल सही ,

यह जो धर्म की आग है -

बहुत ही इसमें ताप है!

राजनीति की रोटियां-

जितनी चाहे सेंक लो!

सभी पक जाती हैं-

कभी कच्ची नहीं रहतीं !

:-- मोहन"मधुर"


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kumarinutan4392
kumarinutan4392
14 dic 2021

Atti Sundar....

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verma.vkv
verma.vkv
13 dic 2021

वाह, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।

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