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  • Writer's pictureKishori Raman

" निःस्वार्थ सेवा "


एक बार भगवान बुद्ध एक मरुस्थल प्रदेश में भ्रमण कर रहे थे। वहाँ के लोगो को जब पता चला कि बुद्ध उनके प्रदेश में आये हुए हैं तो बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने आने लगे। वहाँ के राजा भी बुद्ध से मिलने आये। राजा को बहुत दिनों से एक सवाल परेशान कर रहा था। उन्होंने बुद्ध से पूछा - हे भन्ते, क्या इस संसार में कोई ऐसा भी व्यक्ति है जो महान हो पर उसे कोई जानता ना हो ? सवाल सुनकर बुद्ध मुस्कुराते हुए बोले- वास्तव में इस दुनिया में कई असाधारण लोग हैं जो महान मनुष्यों से भी महान है। हालाँकि उनकी महानता के गीत नहीं गाए जाते। यह सुनकर राजा ने आश्चर्य से कहा - ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई महान हो और लोग उसकी महानता से वाकिफ ना हो ? गौतम बुद्ध ने राजा के सवाल का जवाब नहीं दिया और उसे अपने साथ लेकर एक गाँव की ओर चल पड़े। काफी दूर चलने के बाद गर्मी के कारण दोनों को थकावट महसूस होने लगी। उन्हें प्यास भी बड़े जोरों की लग रहा थी। वे पानी की तलाश में इधर-उधर घूमने लगे। तभी उन्हें एक पेड़ के नीचे घड़े में पानी लेकर एक लड़की बैठी दिखाई दी। दोनों उस लड़के के पास पहुँचे। लड़की ने दोनों को प्रणाम किया और फिर उन दोनों को पानी पिलाया। पानी पीने के बाद उन्हें गर्मी से राहत मिली और दोनों की जान में जान आई। राजा ने लड़की को देने के लिए अपने बटुए से कुछ सिक्के निकाले। लेकिन लड़की ने उन सिक्कों को लेने से मना कर दिया। वह बोली - हे राजन, मैं कोई व्यवसाय नहीं करती"। आप इस हरे भरे विशाल बृक्ष को देखें। यह किसी से कुछ नहीं माँगता। यह निस्वार्थ भाव से सभी को गर्मी से राहत देता है। इसलिए मैं यहाँ इस पेड़ के नीचे घड़े में पानी लेकर बैठती हूँ ताकि आने जाने वाले मुसाफिरों को पानी पिला सकूँ। मुझे इस काम से असीम शांति मिलती है। यह सब सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। अब उसे अपने सवाल का जवाब मिल गया था। वह समझ गया कि इस संसार में हर वह व्यक्ति महान हैं जो दूसरे लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करता है। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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