आज 23 जनवरी है, नेता जी सुभाषचंद्र बोस की 125 वी जयंती। इस अवसर पर उनको शत शत नमन एवं श्रद्धांजलि।
वे न सिर्फ एक महान क्रांतिकारी थे बल्कि वीर सैनिक, वीर सेनापति, और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष (1938) भी रहे लेकिन उनसे मोह भंग होने के बाद उन्होंने 1939-40 में फारवर्ड ब्लॉक पार्टी की स्थापना की। फिर भारत माता की आजादी के लिए 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फौज के सेनापति के रूप में स्वतंत्र भारत की वैकल्पिक सरकार बनाई जिसका नाम रखा गया--आरजी हुकूमत-ए-आजाद हिंद। इस सरकार को विश्व के 11 देशों ने मान्यता दी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद ताइवान में एक विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 को नेता जी की मृत्यु हुई। हालांकि उनकी मृत्यु के बारे में भी विवाद है।
नेता जी के आंदोलन का ब्यापक एवं दूरगामी प्रभाव भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर पड़ा। 1946 में हुए नौ- सेना विद्रोह औऱ अन्य आंदोलनो से अंग्रेजो को समझ मे आ गया कि भारत को अब वे ज्यादा दिनों तक गुलाम बना कर नही रख सकते अंततः 15 अगस्त 1947 को अपना देश आजाद हुआ।
इस अवसर पर प्रस्तुत है उनके कुछ अनमोल विचार जो आज हमारी धरोहर है।
---तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूँगा।
---अपनी ताकत पर भरोसा करो, उधार की ताकत तुम्हारे लिये घातक है।
--- भारत के भाग्य में अपना विश्वास कभी मत खोना। पृथ्वी पर कोई शक्ति नही है जो भारत को बन्धन में रख सके।
----में नही जानता कि आजादी के इस युद्ध मे हममे से कौन कौन बचेगा, लेकिन इतना मै जनता हूँ कि आखिर में विजय हमारी ही होनी है।
----ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएँ। हमे अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिले, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
इस अवसर पर प्रस्तुत है मेरी छोटी सी कविता जिसका शीर्षक है-
"नमन करते हैं"
आज हम नमन करते है
अपने असली नेता को
जन जन के नायक को
क्रान्ति के प्रणेता को
दो खून मुझे,आजादी दूँगा
यही तुम्हारा वादा था
शान्ति के दूतों पर तुमने
सही निशाना साधा था
तुमनेजो जयघोष किया था
मुर्दो में भी जोश भरा था
कांप गया था विश्व विजेता
उसका भी तो होश उड़ा था
गूँज रहा जय हिंद का नारा
अमर है बलिदान तुम्हारा
श्रद्धासुमन अर्पित करते है
ये देश रहेगा ऋणी तुम्हारा
किशोरी रमण
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Jai Hind.....
नेता जी की सोच व विचारधारा हमारी एक अनमोल धरोहर है। यह हमारे देश की बिपरीत परिस्थितियों में काम आनेवाली है। ऐसे वीर सेनानी को शत्-शत् नमन !
शत शत नमन एवं श्रद्धांजलि ।