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  • Writer's pictureKishori Raman

" पुनरूत्थान का पर्व ईस्टर "

Updated: Apr 9


जीजस क्राइस्ट इतिहास के ऐसे संक्रमण काल में आए थे जब संसार को आध्यात्मिक आशा और पुनरूत्थान की अत्यधिक आवश्यकता थी। जीजस ने काले,गोरे,बड़े, छोटे सबको ये विश्वास दिलाया कि वे सब ईश्वर की संतान हैं। जिसका भी हृदय पवित्र है, चाहे वह किसी भी जाति अथवा रंग का हो वह ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।

चुकी जीजस प्रेम और शांति के मसीहा थे और दुनिया को प्रेम और करुणा का संदेश दे रहे थे, ये बात तब के धार्मिक कट्टरपंथियों को पसंद नही आई। उन्होंने एक साजिश करके उन्हे सूली पर लटकवा दिया। जिस दिन उन्हे सूली पर लटकाया गया वह शुक्रवार का दिन था। तब से हर साल पवित्र शुक्रवार को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है और ईसाई भाई बहन जगत कल्याण की कामना करते है और अपने गुनाहों की लिए क्षमा मांगते हैं। एसी मान्यता है कि सूली पर लटकाने और मृत्यु के तीन दिन बाद रविवार को जीजस फिर से जीवित हो उठे थे। उनके जीवित होने की खुशी पर्व को ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जीवित होने के बाद चालीस दिनों तक जीजस धरती पर रहे और फिर स्वर्ग लोक को लौट गए। इस दौरान उन्होंने अपने शिष्यों को ज्ञान के उपदेश दिया और उन्हें धर्म, कर्म शांति तथा मानवता का पाठ पढ़ाया। आज भी समाज को जीजस के प्रेम, अहिंसा, करुणा, और दुखियो की मदद जैसे शिक्षा की आवश्कता है ताकि हम सब शान्ति और भाईचारे के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर सके। आप सबों को ईस्टर पर्व की शुभकामना। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com

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